विनोद कोचर
हमारे प्रधानमंत्री के, कुछ ही दिनों बाद शुरू हो रहे, अमेरिका के शासकीय दौरे के दो पहलू हैं।
भाजपा/संघ परिवार के नजरिये से, इस दौरे के दौरान, अमेरिका में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वागत सत्कार के विशेष इंतजाम किए गए हैं, यहाँ तक कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और उनकी पत्नी द्वारा मोदीजी के सम्मान में अलग से विशेष भोज तक का आयोजन किया गया है।ये स्वागत सत्कार, बनजरिये संघ परिवार, मोदीजी के विशेष महिमामंडन का अबतक का सबसे बड़ा उदाहरण है।
लेकिन दुनिया के कई देश और भारत की बहुसंख्यक आबादी के नजरिये से अगर देखा जाय, तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह दौरा अमेरिका के उस कपटजाल में भारत को उसी तरह फंसाने वाला मोहक मायाजाल है, जिस तरह के मायाजाल में फंसाकर उसने यूक्रेन को रूस के खिलाफ भीषण युद्ध और तबाही का मैदान बना दिया है और अपने हथियारों के व्यापार को चमकाया है।
अमेरिका एक कायर देश है जो रूस और चीन से सीधी लड़ाई लड़ने से डरता है।
रूस से लड़ने के लिए उसने जिस तरह यूक्रेन के कंधों पर अमेरिकी हथियार रखे हैं, उसी तरह वह चीन से लड़ने के लिए भारत के कंधों पर अपने आधुनिक हथियार रखकर दागना चाहता है।
एक सफल दुकानदार किसी बड़े ग्राहक को अपना माल बेचने के लिए, उस ग्राहक के साथ जो व्यवहार करता है, मोदीजी के स्वागत सत्कार के लिए किए जा रहे विशेष इंतजाम भी उसी तरह के व्यवहार से अधिक और कुछ भी नहीं है।
क्या जो बाइडेन ये नहीं जानते कि उनके देश के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री की राजनीति पूर्णतया लोकतंत्र विरोधी और नस्लवादी राजनीति है और इसी दुर्गुण की समानता के चलते, इन दोनों की दोस्ती इतनी गहरी है कि पिछले राष्ट्रपति चुनाव में हमारे प्रधानमंत्री ने डोनाल्ड ट्रंप के पक्ष में, ‘अबकी बार ट्रंप सरकार’ का नारा लगाकर, अप्रत्यक्ष रूप से जो बाइडेन के विरुद्ध चुनाव प्रचार किया था?
अब वही जो बाइडेन हमारे मोदीजी के स्वागत में, उनके लिए, सपत्नीक विशेष दावत का इंतजाम कर रहे हैं तो ये आयोजन तहेदिल से तो हो नहीं सकता!
जो बाइडेन की असली नीयत के बारे में मैं ऊपर लिख ही चुका हूँ और अब उसी असली नीयत के बारे में किसी शायर का ये चुटकुलानुमा शेर मुझे याद आ रहा है कि:-
भगवान करे हमारी दोस्ती इतनी गहरी हो,
कि बीच सड़क पर तू पिटे और गलती मेरी हो