डॉ योगेश धस्माना
अमृत महोत्सव और मेरा देश मेरी माटी कार्यक्रम के शोर थामने के बाद मेरा स्पष्ट मानना है की किसी भी राजनैतिक दल द्वारा देहरादून की प्रथम महिला सत्याग्रही और प्रथम महिला विधायक ( 1937 ), शर्मादा को किसी भी स्तर पर याद न किया जाना बहुत दुखदाई रहा । महात्मा गांधी के नमक सत्याग्रह आंदोलन में जब अधिकांश नेता पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिए गए थे, तब पंडित जवाहरलाल नेहरू ने शर्मादा को देहरादून जनपद के आंदोलन की बागडोर सौंपी । शर्मदा ने तब महिला और पुरुष आंदोलनकारियों को नेतृत्व देते हुए, अपनी पंद्रह माह की बेटी को पीठ पर बांध कर नमक सत्याग्रह का नेतृत्व किया । इस आंदोलन की सफलता के बाद पंडित नेहरू ने शर्मदा को 1936 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव करवाकर उसे उत्तर प्रदेश की विधान सभा में निर्वाचित कर भेजा । शर्मदा ने महिलाओं के कौशल विकास और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए अनेक ट्रेनिंग कार्यक्रमों का संचालन किया । दून घाटी की यह अज्ञात प्रतिभा दुर्भाग्यवश अकाल मृत्यु को प्राप्त हुईं। इनके पति महावीर त्यागी स्वाधीन भारत में केंद्र सरकार में रक्षा मंत्री रहे । उन्हें देहरादून के आधुनिक विकास का निर्माता भी कहा जाता है । शर्मदा के नाती अनिल नौरिया टाइम ऑफ इंडिया के सहायक संपादक रहने के बाद अब देश के सर्वोच्च न्यायालय में वकील के रूप में काम कर रहे हैं। अपनी नानी और नानाजी की स्मृति में ट्रस्ट का संचालन करते हुए, महिलाओं के आर्थिक विकास के लिए सक्रिय हैं। पाठकों के लिए 1937 में चुनाव प्रसार के दौरान शर्मदा का फोटो और उनके नाती का चित्र साझा कर रहा हूं ।