प्रमोद साह
आज ही के दिन 9 मई 1980 को अल्मोड़ा जनपद के ऊपरी सल्ट क्षेत्र में , दूल्हे श्याम प्रसाद को मंदिर से कोई 1 किलोमीटर पहले पालकी से उतारने की जिद से जो महिलाएं चींखी, चिल्लाई वह हमारी ही तो मां बहने हैं । वह रण बांकुरा खिमानंद जो फौज में था , जिसने तिरंगे की शपथ उठाई थी , कैसे वह श्याम प्रसाद की पालकी पर झपट पड़ा था और उसे पलटा दिया था . वह व्यक्ति नहीं हमारी सघन हो चली जातिवादी सोच का प्रस्फुटन था । वह भी तो हमारा भाई था ।समाज व्यक्तियों से नहीं बनता समाज में समय-समय पर मानसिकता झलकती है , जो समाज को प्रभावित करती है ।
जिस उत्तराखंड में सामाजिक बराबरी के लिए स्व़ हर प्रसाद टम्टा ,खुशी राम आर्य , जीया नन्द भारती, कलम सिंह नेगी जैसे समाजसेवियों ने सामाजिक बराबरी के लिए अपना जीवन खपा दिया हो ,जिसका कफल्टा में स्वयं आर्य समाजी आनंदी देवी ने जन्म लिया हो , वहां यह दबी और कुत्सित मानसिकता मिनटो में अपना काम कर देती है . मिनटों में ही डोला पालकी आंदोलन सामाजिक बराबरी की सफलता को ध्वस्त कर देती है .
1980 में हमारे किशोर वय की गांठे खुल रही थी. घटना से हम हतप्रभ थे. कैसे जाति के लिए आदमी की जान ली जा सकती है यह समझ में नहीं आ रहा था। कैसे गांव के नरी राम के घर में बंद ,छिपे 14 बारातियों को जलाकर जिंदा तंदूर बना दिया …
इस लोमहर्षक कांड की तस्वीरें आज भी मस्तिष्क में है जिस समाज में हम जिंदा है वहां आज भी कफल्टा की गंध आती है . कानून की खुशबू इस दुर्गंध को मिटाने का काम कर रही है, लेकिन समाज कानून से नहीं बनता और न मुआवजे की बुनियाद पर समाज खड़ा किया जा सकता है .
समाज की बराबरी और सम्मान के लिए राज्य जिन कदमों को उठा सकता है ।वह है भूमि और संसाधनों का न्याय पूर्ण वितरण । यह काम आसानी से भू -बंदोबस्त के जरिए किया जा सकता है. लेकिन भू -बंदोबस्त अभी हमारी प्राथमिकता में नहीं है .आज भी उत्तराखंड के कई क्षेत्रों में नाम की ही सही, दास प्रथा जिंदा है भूमिहीन अनुसूचित जाति के लोग खैकर पर निर्भर हैं .
इस दिशा में अगर हम कुछ रचनात्मक कर सके तो यह कफल्टा कांड के उन दुर्भाग्यशाली 14 हुतात्माओं को सच्ची श्रद्धांजलि होगी . आनंदी देवी के प्रयासों से ही इस घटना के अपराधियों को सर्वोच्च न्यायालय से सजा मिली इस बहाने उन्हें भी नमन…
शहीद;
1-बन राम, 2-बिर राम, 3-गुसाईं राम, 4-मोहन राम, 5-भैरव प्रसाद, 6-सारी राम, 7-मोहन राम
8-बची राम, 9-माधो राम, 10-राम किशन,
11-झुस राम, 12-प्रेम राम, 13-रामप्रसाद, 14गोपाल राम