चन्द्रशेखर जोशी
कुछ भी बजने से। कूलर की स्पीड फुल थी सो प्रवीण को बुखार आ गया। सुबह सिर दुखे और बदन टूटे, दुकान खोलना मजबूरी थी। शटर उठाते वक्त पड़ोसी लाला जी को स्वास्थ्य की नासाजी का भान हो गया।
…दिनभर ग्राहक तो कोई न फटका, पड़ोसी दुकानदार भी गप्पें लड़ाने नहीं आए। प्रवीण दोपहर में ही शटर गिरा कर घर को चल दिया। रास्ते में एक क्वार्टर खरीदा, सोचा घर जा कर दो पैग खींचूं और आज जी भर सो जाऊं।
…प्रवीण काे शटर गिराते देख दुकानदारों की बुद्धि सनकी। इशारे-कनखियों से गली वालों में हलचल हुई। किसी के फोन बजे, कोई कान में गुनगुना कर चलता बना। खबर सनसनाती इलाके में फैली। घंटा पूरा भी न हुआ कि सायरन बजाती जीप दुकान पर खड़ी हुई। शटर बंद देख टीम में करंट समान फुर्ती दौड़ी, कोई पता पूछे, कोई तेज कदम पटके। दो लोगों ने मोटी कलम से कोरोना संभावित लिखित कागज शटर पर चस्पा किया। कैमरा ताने, भोंपू पकड़े पत्रकारों की भीड़ उमड़ पड़ी।
…अचानक पुलिस की जीप दौड़ी चली आई। कुछ दूर से पूछें, कुछ सड़क पर डंडा फटकारें, प्रवीण से दूर रहने की हिदायत दी। पल भर में दोनों गाड़ियां रफूचक्कर। गली में सन्नाटा पसरा। दुकानदारों में दहशत बैठी, शटर गिरने की आवाज न आई, कोई आगे से, कोई पीछे से भागा। पलक झपकते बाजार में मरघट जैसी खामोशी छाई।
…प्रवीण घर पहुंचते ही एक जेब में क्वार्टर, दूसरी में गिलास दबाए छत पर सुरक्षित छिपा आया। बीवी ने दुकान से जल्द आने का कारण पूछा, पापा को देख बच्चे खुशी में झूमे। सबको मुस्कराते जवाब दिया, थोड़ा सा धोखा भी दिया। पानी की एक बोतल पकड़ी फिर से सरपट छत पर चढ़ा। दरवाजे का कुंडा कसा, दो बूंद मदिरा धरती के नाम करी, बाकी सब गिलास में भरी।
…अचानक मोहल्ले में सायरन बजा, गेट की घंटी बजी और बजती गई। बीवी ने आवाज दी, बच्चे जोर से चीख उठे। प्रवीण गिलास छोड़ नीचे दौड़ा। गेट पर कुछ नीली किट पहने, कुछ खाकी थे। प्रवीण को देख एक ने कनपटी पर पाइरो मीटर सटाया। पत्नी पिस्तौल समझ गश खाकर गिर पड़ी, बच्चों में चीत्कार मची। टीम ने प्रवीण को एंबुलेंस में बिठाया, घर में शवयात्रा सा मातम छाया। पड़ोसी महिलाओं ने छत से ही ढांढस बंधाया, कोरोना का पाठ पढ़ाया। रिश्तेदारी तक बात पहुंची, कुशल पूछने किसी का फोन भी न आया।
…पति की बड़ी चिंता सताए, कुछ पता न चला कि कहां ले गए। रातभर टीवी के चैनल बदले, सुबह हुई तो अखबार पलटे, खबर बड़ी थी पर मरीज का कहीं पता न था। दोपहर बाद एक फोन आया। प्रवीण ने बताया कि क्वारंटीन सेंटरों का बुरा हाल था तो मैने किराया देकर खुद को एक होटल में रखने की गुजारिश की, सो मुझे फलां होटल में रखा है। जब तक कोरोना की रिपोर्ट नहीं आ जाती, यहीं रहना होगा। बुखार के लिए पैरासिटामोल की दो गोली दी हैं, खाना घर से ही लाना है। होटल वालों ने सीटी की आवाज पर ध्यान देने को कहा है। यह सुन थोड़ा राहत मिली, बीवी रसोई में जुट गई।
…भोजन का झोला थामे होटल पहुंची। प्रवीण का नाम लिया तो होटल कर्मी बिदक कर दूर छिटका। मिलने की सख्त मनाही का डीएम साहब वाला फरमान सुनाया, झोला कोने में रखने का आदेश दिया। खाना पहुंचा देना कह कर आंसू पोछती बीवी घर को लौटी।
…करीब घंटे भर बाद होटल का लड़का वाइपर के डंडे से झोला उठा कर तीसरी मंजिल पर प्रवीण के दरवाजे के बाहर रख आया। सीढ़ियां उतर कर जोर से सीटी बजाई। प्रवीण को सीटी वाली बात याद आई सो दरवाजा खोल बाहर झांका। अपने घर का झोला पहचाना, लड़के ने आवाज दी- खाना उठा लो।
…तड़के दरवाजा पीटते आवाज आई- भाई साहब कैसे हो। आवाज देने वाला तब तक दरवाजा पीटता रहा जब तक इत्तला न मिल गई कि भीतर वाला अभी जिंदा है। लड़का दरवाजे के नीचे से दो गोलियां अंदर सरका कर चलता बना। कहता गया दवा खा लेना भाईसाप।
…दो दिन के भीतर बाजार में छी-छी हुई, शटर पर लिखे संदेश पर जिसकी नजर पड़ी वह चौंक कर पीछे हटता। मोहल्ले वाले गेट की तरफ झांकते नहीं, रास्ता बदलकर जाते हैं। रिश्तेदारों ने दूरी बनाई, घरवाले अनजाने डर से बहुत घबराते हैं।
..तौबा ये सरकारी चाल, कोई फंस जाए तो देखो कमाल..