प्रकाश जोशी
नगर पालिका परिषद अल्मोड़ा के सभागार में आज पालिका की ओर से संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन कॉप 26 में स्कॉटलैंड में प्रतिनिधित्व कर लौटे नैनीताल उच्च न्यायालय की अधिवक्ता स्निग्धा तिवारी एवं जन्मेजय तिवारी के अल्मोड़ा लौटने के उपलक्ष्य पर डॉ. ललित मोहन पांडे जी की अध्यक्षता में एक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया।
इस सम्मान समारोह में जन्मेजय तिवारी और स्निग्धा तिवारी ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि उन्होंने वहां पर विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों एवं मंत्रीगणों से उत्तराखंड में बार बार आने वाली आपदाओं के संबंध में चर्चा की और बताया की सम्मेलन में भविष्य की योजनाएं बन रही हैं, लेकिन उत्तराखंड वर्तमान में दहशत में है,इसका समाधान सर्वप्रथम होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के सम्मेलन में भाषा बाधक नहीं बनती है बल्कि विचारों का आदान प्रदान ही महत्वपूर्ण होता है। उन्होंने कहा की भविष्य में भारत सरकार को युवाओं का सरकारी डेलीगेशन भी इस प्रकार के सम्मेलनों में भेजना चाहिए। स्निग्धा एवं जन्मेजय ने यह कार्यक्रम आयोजित करने के लिए पालिकाध्यक्ष प्रकाश जोशी एवं समस्त पालिका का धन्यवाद किया।
मुख्य वक्ता के रूप में भू गर्व वैज्ञानिक एवं पर्यावरण विद प्रो. जे. एस. रावत ने जलवायु परिवर्तन के ऊपर विस्तृत रूप से अपनी बात कही उन्होंने कहा कि आज सरकारी नीतियों एवं अनियोजित विकास से जलवायु परिवर्तन हो रहा है,जिसका प्रभाव पूरे देश में तथा विश्व में फैल रहा है। प्रो. रावत ने अल्मोड़ा शहर की जीवन दायनी कोसी नदी के कम होते जल स्तर पर चर्चा की और बताया कि कोसी का जल स्तर आज से 20 साल के पूर्व के मुकाबले काफी कम हो गया है, जिसके लिए एक प्राधिकरण बना कर काम करना होगा तभी कोसी नदी एवं उसके सहायक जल स्रोत पुनर्जीवित हो पाएंगे। उन्होंने कहा कि इस फॉर्म के माध्यम से भी सरकार के पास यह संदेश जाना चाहिए कि शीघ्र एक प्राधिकरण का गठन किया जाए, तथा कोसी को पुनर्जीवित करने के लिए एक कार्य योजना बनाई जाए।
समारोह को संबोधित करते हुए पूर्व विधायक कैलाश शर्मा ने स्निग्धा व जन्मेजय को बधाई दी व कहा कि दोनों भाई बहनों ने जिले, राज्य व देश का गौरव बढ़ाया है। उपपा के केंद्रीय अध्यक्ष पी. सी. तिवारी ने कहा कि उत्तराखंड राज्य जलवायु परिवर्तन का दंश झेल रहा है जिससे बचने के लिए सरकार को विकास की नीतियों में सुधार की जरूरत है और विकसित देशों को इस ओर सर्वाधिक ध्यान देने की आवश्यकता है तभी हम जल जंगल जमीन और संस्कृति को बचा सकते हैं।
समारोह की अध्यक्षता कर रहे पद्मश्री ललित मोहन पांडे ने कहा कि विकास पर्यावरणीय मूल्यों को ध्यान में रखकर किए जाएं और पहाड़ की अस्मिता को समझ कर उसकी रक्षा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्ग संघर्ष के दौर में निरपराध लोग जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणाम झेल रहे हैं और नीतियां अपने लिए ना बनाकर दूसरों के लिए बनाई जा रही हैं।
इस अवसर पर डॉ. शेखर पाठक, आशा रावत, अशोक पांडे, दीपा साह, तरन्नुम बी, उपपा की केंद्रीय सचिव श्रीमती आनंदी वर्मा, उपपा नगर अध्यक्ष श्रीमती हीरा देवी, उत्तराखंड छात्र संगठन की भारती पांडे दीपांशु पांडे, गोविंद लाल वर्मा, अमीनुर्रहमान, जगत रौतेला, गिरीश मल्होत्रा, अनीता बजाज, टीटू अग्रवाल, एड.नारायण राम, आनंद सिंह बगड़वाल, ललित मोहन पंत, गिरीश चंद्र जोशी, लक्ष्मण सिंह ऐठानी, चंद्रमणि भट्ट, राजू गिरी, आनंद सिंह ऐरी, एम. सी. कांडपाल, प्रताप सिंह सत्याल, एड. मनोज कुमार पंत, अमन नज्जौन, जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एड. शेखर लकचौरा, प्रत्येश पांडे, बसंत बल्लभ पंत, जीवन चंद्र, एल.एम. तिवारी हरीश भंडारी, नवीन बिष्ट, कमल जोशी, योगेश सिंह बिष्ट, धीरेंद्र मोहन पंत, रोशनी, भावना मनकोटी, ओजस्वी मनकोटी, वसुधा पंत, रीता दुर्गापाल, पुष्पा सती, दीपा जोशी, दयाकृष्ण कांडपाल, महेंद्र सिंह आदि लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समापन नगर पालिका की पूर्व उपाध्यक्षा मीता उपाध्याय ने किया।