नैनीताल समाचार डेस्क
‘कोविड 19’ के कारण हुए लॉकडाउन ने असंगठित क्षेत्र के लाखों लोगों को बेरोजगार किया है। संगठित क्षेत्र के श्रमिकों एवं कर्मचारियों के बीच भी बेरोजगारी की इस धमक को/गूंज को सुना जा सकता है। पर्यटन के लिये मशहूर नैनीताल शहर में लॉकडाउन के दिनों टैक्सी चालक, नाव चालक, रैस्टोरेंट में काम करने वाले श्रमिक, होटल कर्मचारी आदि सभी बेराजगार हुए। परन्तु लॉकडाउन के उपरान्त शनै-शनै अब ये शहर सांसें लेने लगा है। पर्यटन से जुड़े कई सारे श्रमिक काम में वापस लौट आये हैं पर लॉकडाउन की आड़ में बहुत सारे श्रमिकों व कर्मचारियों को प्रबंधन व होटल मालिकों द्वारा बाहर भी कर दिया गया है। ऐसा ही एक गंभीर मामला नैनीताल शहर के प्रतिष्ठित होटल मनु महारानी का है जिसके प्रबंधन ने लॉकडाउन में होटल के बंद हो जाने के कारण कर्मचारियों को यह कह कर छुट्टी में भेज दिया कि जब होटल खुलेगा उन्हें काम में वापस रखने पर प्राथमिकता दी जायेगी। परन्तु लॉकडाउन खुलने के उपरान्त 52 कर्मचारियों से इस्तीफा ले लिया गया और उन्य 33 कर्मचारियों द्वारा आनाकानी करने पर उनकी बकाया राशि उन्हें अदा कर उन्हें कार्य से निष्काशित कर दिया गया। इस कारण पिछले 1 मार्च से ये 33 कर्मचारी आंदोलनरत हैं और मल्लीताल घोड़ा सराय में क्रमिक अनशन पर बैठे हैं। इन कर्मचारियों का आरोप है कि केवल दो दिन पूर्व नोटिस देकर 9 सितम्बर 2020 को इन्हें निष्काशित कर दिया गया। मनुमहारानी होटल दिसम्बर 2020 से पर्यटकों के लिये खुला है और प्रबंधन ने छटनीशुदा कर्मचारियों को काम पर वापस बुलाने के बजाये 30-35 नये कर्मचारियों को कार्य पर रख लिया। इन आंदोलनरत कर्मचारियों का यह भी आरोप है कि प्रबंधन यह भ्रामक प्रचार कर रहा है कि कर्मचारियों को 10-15 लाख रुपये काम पर से हटाये जाने के कारण मुआवजे के तौर पर दिया गया है। यह सरासर गलत है। उनके अपने वेतन के अतिरिक्त इन कर्मचारियों को कुछ भी नहीं दिया गया है।
उत्तराखंड होटल कर्मचारी महासंघ के महामंत्री नरेन्द्र पपोला ने बताया कि उन्हें भारतीय मजदूर संघ, आंगनबाड़ी यूनियन, आशा कार्यकर्ता, वन निगम कर्मचारी संघ, भाकपा (माले), उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी तथा अन्य समाजिक संगठनों का समर्थन प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि यहाँ आंदोलनरत कर्मचारियों में 15 से 30 वर्ष तक कार्यरत रहे कर्मचारी मौजूद हैं और उनकी छटनी इस शर्त पर हुई थी कि होटल खुलने पर उन्हें प्राथमिकता दी जायेगी पर अब प्रबंधन उन्हें पहचानने से भी इंकार कर रहा है। प्रबंधन के इस अमानवीय रवैये के कारण सभी कर्मचारी मानसिक तनाव में हैं और एक कर्मचारी तो पैरेलाइज तक हो गया जिसकी ओर प्रबंधन कोई ध्यान नहीं दे रहा है। अभी तक इस मामले में दो दौर की वार्ता हो चुकी है जो असफल रही है। अगली वार्ता 6 अप्रेल 2021 को होना तय हुई है। यदि वार्ता असफल रही तो निश्चित रूप से आंदोलनकारियों द्वारा आंदोलन को तेज करने की बात कही गयी है।
नरेन्द्र पपोला का यह भी कहना है कि आज तक होटल प्रबंधन ने आंदोलन कर रहे किसी भी कर्मचारी की कोई सुध नहीं ली है इसलिये आंदोलनकारियों ने निर्णय लिया है कि यदि होली से पहले कर्मचारियों की बहाली नहीं हुई तो कर्मचारी अपने पूरे परिवार के साथ होली नहीं मनायेंगे और इस बार विरोध स्वरूप होली काला दिवस के रूप में मनायी जायेगी।