चन्द्रशेखर जोशी
दुनिया के चिकित्सा विज्ञानी वायरस के हमले से चिंतित हैं। बाजार में चिकित्सा पेशे से जुड़े ठगों की लार टपकने लगी है। आम जन-मानस परेशान है। बहुतेरे लोग जाति-धर्म की लड़ाई में उलझे हैं।
…विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोरोना वायरस को लेकर रविवार को नए निर्देश जारी किए हैं। इसके अलावा कई देशों के विशेषज्ञों ने भी अपनी राय साझा की है। कहा जा रहा है कि किसी भी वायरस की जांच के लिए केवल एक ही स्वैब नमूना काफी है। भारत में पिछले साल फैले डेंगू रोगियों की रोज कई-कई जांचें की गईं और अंत में सैकड़ों लोग जड़ी-बूटी, जानवरों का कच्चा दूध पीकर जान गंवा बैठे।
…रविवार को स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने दो एडवाइजरी जारी की हैं। संभव है कि मंगलवार तक एक और एडवाइजरी जारी की जाएगी। इन्हीं दिशा-निर्देशों पर दुनिया के चिकित्सक कार्य कर रहे हैं। चीन के चिकित्सकों का कहना है कि हम अभी तक इस पर काबू पाने में नाकाम रहे हैं, पर मरीज की निगरानी और स्वास्थ्य सुविधाओं में काफी सुधार कर दिया गया है। कहा जा रहा है कि किसी में वायरस के लक्षण दिखने पर उसे सघन निगरानी में रखा जा रहा है। मरीज से वायरस दूसरे तक न फैलने की पूरी तैयारी की जा चुकी है। विषाणु जांच के लिए हर अस्पताल में व्यवस्था की गई है।
…चीन में कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या 300 को पार कर गई है। अब तक 22 देशों में इसके संक्रमण के करीब 11800 मामले सामने आ गए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन पहले ही इसे स्वास्थ्य आपालकाल घोषित कर चुका है।
…भारत में अब तक इसके दो मामले सामने आ गए हैं। फिलहाल मरीजों की जांच के दो नमूने पुणे के राष्टï्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) को भेज रहे थे। अब एक ही जांच भेजी जाएगी। सरकार ने अभी तक विषाणु जांच के लिए पुणे के अलावा कहीं व्यवस्था नहीं की है।
…असल में मौसमी बुखार पर भी लोग घबरा जाते हैं। इसके बाद बेवजह की जांचें और अस्पताल में भर्ती करने के लिए मरीज को डरा दिया जाता है। अस्पतालों की चिकित्सापद्धति के साथ घरेलू टोटके भी चलते हैं। इससे मरीज की बीमारी बढ़ती जाती है। शरीर एंटीबॉडीज नहीं बना पाता और वायरस से लडऩे के बजाए शरीर की ऊर्जा अनावश्यक संक्रमण से जूझने में खर्च हो जाती है।
…चिकित्सकों का कहना है कि किसी भी संक्रमण से तेज बुखार आता है। वायरस के अटैक से श्वास लेने में तकलीफ और फेफड़ों में दिक्कत होने लगती है। कुछ समय बाद सफेद रक्त कणिकाएं आपस में चिपक जाती हैं, जिससे प्लेट लेट्स की संख्या में गिरावट दर्ज होने लगती है।
…इससे बचाव के लिए शरीर के तापमान को नियंत्रित करना होता है और शरीर को पुष्टाहार की जरूरत होती है। सफेद फलों का जूश श्वेत रक्त कणिकाएं बढ़ाने में मदद देता है। कोई भी ऐसी चीज नहीं खानी चाहिए, जो पाचन में दिक्कत करे।
..विज्ञान न समझे तो जान के लाले पड़ जाएंगे..