प्रमोद साह
स्वच्छ गंगा मिशन भारत सरकार और “नमामि गंगे उत्तराखंड के संयुक्त कार्यक्रम गंगाआहवान ” का 10 अक्टूबर को शुभारंभ संगम तट देवप्रयाग से हुआ ,इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम में 10 अक्टूबर से 12 नवंबर तक देवप्रयाग से गंगासागर तक की कोई 2450 किलोमीटर की जल यात्रा गंगा के माध्यम से ही है. इसमें हरिद्वार तक की यात्रा राफ्टिंग से और उसके बाद की यात्रा नाव के माध्यम होनी है । देवप्रयाग से ऋषिकेश तक के चुनौतीपूर्ण राफ्टिंग अभियान दल में स्वयं केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और उनकी पुत्री भी शामिल रही , इस कार्यक्रम का उद्देश्य गंगा के किनारे बसने वाले 4465 ” गंगा गांव ” के लोगों से गंगा की निर्मलता को लेकर बातचीत, संवाद कार्यक्रम है। जिससे गंगा की निर्मलता पर जन जागरूकता बड़े, इस कार्यक्रम को वायु सेना के विंग कमांडर परमवीर सिंह जिनके नाम 7 बार इंग्लिश चैनल तैरकर पार करने का रिकॉर्ड है, और जो इससे पहले गोमुख से गंगासागर तक की यात्रा तैरकर पूरी कर चुके हैं लीड कर रहे हैं ।
इस कार्यक्रम के पीछे /बहाने सिक्के का दूसरा पहलू देखने पर उत्तराखंड में “साहसिक जल- क्रीड़ा” एडवेंचर वाटर स्पोर्ट्स की छिपी हुई संभावनाएं भी बहुत दिखती हैं ।
यह वर्ष 1985 था जब सबसे पहले कर्नल कोहली द्वारा शिवपुरी के आसपास राफ्टिंग की शुरुआत की शुरुआत में उन्हें काफी कठिनाइयों, तथा स्थानीय विरोध का सामना करना पड़ा लेकिन आज राफ्टिंग के नाम पर शिवपुरी- ऋषिकेश भारत में राफ्टिंग का महत्वपूर्ण केंद्र बन गया है जहां दस हजार के आसपास स्थानीय युवकों को राफ्टिंग, कैंपिंग व्यवसाय से रोजगार मिला हुआ है. तपोवन और शिवपुरी नए टूरिस्ट डेस्टिनेशन बन गए हैं ।यह एक छोटे से हिस्से की कहानी है जिसे विकसित करने के लिए कर्नल कोहली भागीरथ बनकर आए, आज केंद्रीय मंत्री शेखावत द्वारा देवप्रयाग से ऋषिकेश तक लगभग 60 किलोमीटर दुर्गम नदी मार्ग में जिस प्रकार राफ्टिंग से पूरा किया, उससे इस क्षेत्र में लम्बी दूरी की राफ्टिंग यात्राएं तथा बीच में छोटे-छोटे पड़ाव के रूप में 8- 10 किलोमीटर के कई राफ्टिंग स्पाट विकसित होने की संभावनाएं बढ़ गई हैं ।इसके लिए छोटी-छोटी राष्ट्रीय जल प्रतियोगिताओं के साथ पर्यटन विभाग को आना होगा । तभी यह छोटे डेस्टिनेशन लोकप्रिय हो पाएंगे ,यह कहानी तो सिर्फ गंगा की है।
गंगा से कम जल राशि की लेकिन सदानीरा कम से कम एक दर्जन ऐसी नदियां हैं जिनमें आसानी से राफ्टिंग शुरू की जा सकती है. इनमें मुख्य रूप से भिलंगना, भागीरथी, मंदाकिनी,नंदाकिनी,अलकनंदा पिंडर,यमुना, टोंस, सरयू, शारदा और कुछ भाग रामगंगा नदी का है, जहां आसानी से राफ्टिंग तथा अन्य एडवेंचर वाटर स्पोर्ट्स विकसित को किया जा सकता है. हमसे बहुत कम प्रवाह की नदियों में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ ने बेहतर काम किया है महाराष्ट्र की शेषाद्री नदी जो व्हाइट वॉटर राफ्टिंग र्के लिए प्रसिद्ध हैं। जैसी नदियां हमारे पास बहुतायत में हैं. बस सवाल भगीरथ बन जाने का है.
कयाकिंग तथा स्कूव डाइव के लिए हमारे पास लगभग आधा दर्जन बड़े जलाशय कालागढ़ तुमड़िया हरिपुरा हरसान, नानक सागर आदि हैं ही जो बहुत पहले से इन खेलों के लिए तैयार बैठे है। वाटर स्पोर्ट्स को बढ़ाने का आसान तरीका है वाटर स्पोर्ट्स क्लबो को निश्चित वर्षो के लिए जलाशय और नदियों को सुविधा संपन्न कर लीज पर देना बाकी मार्केटिंग का नेटवर्क उनका है ही, कल प्रसिद्धि होने पर हमारे स्थानीय संसाधनों को लाभ मिलेगा ही ।