हरिश्चन्द्र चंद्रोला
नेपाल भारतीय सरहदी क्षेत्रों में शादी-ब्याह जो आम बात थी उस पर अब एक प्रकार का प्रतिबंध लग गया है। दोनों देशों में सरहदी झगड़े के कारण नेपाल ने कानून बनाया है कि अब भारतीय नागरिक जो नेपाली नागरिक से शादी करेगा उसे नेपाली नागरिक बनने के लिये सात साल तक प्रतीक्षा करनी पड़ेगी। पहले नागरिकता पाने में कुछ भी प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ती थी क्योंकि माना जाता था दोनों देशों में रोटी-बेटी का संबंध था।
करोना महामारी भारत की भांति नेपाल में भी बहुत फैल गई है। वहां सत्तारूढ़ कम्यूनिस्ट पार्टी के अंदर संघर्ष तेज हो गया है। उसमें एक ओर प्रधान मंत्री के. पी. शर्मा ओली हैं और दूसरी ओर पुष्प कमल दहल प्रचंड हैं जिनको पूर्व प्र्रधान मंत्री माधव कुमार नेपाल झननाथ खनाल तथा वामदेव गौतम का समर्थन मिल रहा है। एक माह से अधिक से दोनों पक्ष एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं और सत्तारूढ़ पार्टी विभाजित हो गई है किंतु भारत से संबंधों पर दोनों समान रूप से विरोधी हैं। चीनी दूतावास उनको एक साथ रखने के प्रयास में लगा है। किंतु उसे अभी तक सफलता नहीं मिली है। नेपाली पार्टी कई भागों में विभाजित हो रही है।
यह विभाजन नेपाली संसद में पहले 2017 में शुरु हुआ था जब नेपाली कम्यूनिस्ट पार्टी एमाजे तथा नेपाली कम्यूनिस्ट पार्टी मावोवादी ने मिलकर चुनाव लड़ने की घोषणा की थी। इनके एक साथ जाने में चीन ने प्रमुख भूमिका अदा की थी। चीन ने 2015 में भारत-नेपाल की नाकेबंदी का फायदा उठा के नागरिक समाज तथा सामाजिक संगठनों में पैठ बना ली तथा नेपाल में अधिक निवेश भी आरंभ किया।
चीन ने नेपाल के दो कम्यूनिस्ट दलों को चुनाव में एक साथ लाने का प्रयास भी किया जिसके कारण कम्यूनिस्ट को दो-तिहाई बहुमत मिल गया तथा राज्य के सात प्रदेशों में से छह में कम्यूनिस्ट सरकारें बनी तथा केवल तराई के मधेसी (भारत से आ कर बसे लोग) बहुल प्रदेश में मधेसी पार्टियों की सरकार बनी।
इस बीच नेपाल का भारत से सीमा विवाद हो गया भारत के नए नक्शे में लिपूलेख, कालापानी तथा लिम्पिया धूरा को अपने अधिकार का क्षेत्र में दिखाया जिसके 17 किलोमीटर क्षेत्र से तिब्बत जाने वाली सड़क गुजरती है। नेपाल इस क्षेत्र को अपना मानता है और उसने इसका प्रतिवाद भी किया। यह भाग लम्बे समय से भारत का व्यापारिक तथा धार्मिक मार्ग रहा है।
इसके उत्तर में (चीन का) तिब्बत क्षेत्र स्थित है। इस झगड़े को सुलझाने के लिये भारत-नेपाल में बातचीत होनी है। यह कब आरंभ होगी इसका निर्णय अभी नहीं हुआ है। इस बात पर भारत-नेपाल में बड़ा विवाद हो गया है जो सीमा के निर्धारण पर ही समाप्त होगा।
इस विवादित क्षेत्र के उत्तर में चीन (तिब्बत) की सीमा आरंभ होती है। यह भारत के लद्दाख क्षेत्र के पूर्व में पड़ता है। लद्दाख में भारत तथा चीन की सेनाऐं एक दूसरे के आमने-सामने हैं। लगता है कि विवाद की संभावना सारे चीन ( तिब्बत ) से लगे क्षेत्र से है। लद्दाख के अलावा किसी अन्य तिब्बती ( चीन ) क्षेत्र से भारत का इस समय कोई तनाव नहीं है।
किन्तु भारत लद्दाख के पूर्व की सीमा में सतर्कता बनाए रखने का प्रयास कर रहा है। भारत फौज की टुकड़ियां लद्दाख के पूर्वी क्षेत्र उत्तराखण्ड राज्य की सीमा की देखरेख कर रही हैं। कुछ समय से भारतीय सेना की गतिविधयां उत्तराखंड तिब्बत सीमा में बढ़ रही हैं। संभवतया यह रक्षा के लिए किया जा रहा हो। इस पर आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। संभव है इस क्षेत्र में सैनिक गतिविधियां केवल सावधान रहने के लिये की जा रही हों। यह भी संभव है कि लद्दाख में चीनी सेना से आमने-सामने होने की आशंका के कारण भारत पहले से ही तैयार रहना चाहता है।
भारत की तिब्बत ( चीन ) से लगी सारी सरहद विवादित हैं। उसके ठेठ पूर्वी भूटान से लगे भाग में पिछले वर्ष तक विवाद था जिसके कारण भारत-चीन की सेनाऐ वहां एक-दूसरे से लड़ने पीटने को एक साल तक एक दूसरे के सामने खड़ी थी। वहां अब फिलहाल शांति है हालांकि दोनों देशों की सेनाएं एक दूसरे के विरोध में आमने-सामने खड़ी हैं ।