विनोद पांडे
26 अक्तूबर को अंर्तराष्ट्रीय कयाकिंग खिलाड़ी नैना अधिकारी का डीएसए नैनीताल ने सम्मान किया। बहुत समय बाद नैनीताल में खेलों में विशिष्ट उपलब्धि के लिए किसी को सम्मानित हुए देखना एक सुखद अनुभव था। वह भी एक 22 साल की लड़की को जो कि कयाकिंग जैसे जोखिम भरे खेल के लिए। नैना का जन्म नैनीताल में हुआ और उनकी पढ़ाई भी नैनीताल में ही हुई है। उसका संबध एक अत्यन्त सामान्य से परिवार से है, ऐसे परिवेश से निकल कर एक ऐसे खेल में जिसकी सुविधाऐं गिनी चुनी जगहों पर हों में अपना स्थान बना लेना बहुत बड़ी उपलब्धि है।
नैना ने बताया कि उनके छोटे चाचा भूपेन्द्र अधिकारी ऋषिकेश में राफ्टिंग से जुड़े थे। 13 वर्ष की उम्र में जब वह अपनी जाड़ों की छुट्टियों में ऋषिकेश गयी थी तो उसने पहली बार राफ्टिंग को देखा। उसे इस खेल ने बहुत आकर्षित किया। उसने खुद भी राफ्टिंग सीखी। इसी खेल को कैरियर बनाने की खातिर वह इंटरमीडियेट के बाद विश्वविद्यालय की शिक्षा के लिए वह देहरादून चली गई, ताकि वह ऋषिकेश में आसानी से कयाकिंग सीख सके। इस तरह ऋषिकेश में गंगा नदी से उसने इस खेल में प्रवेश का अवसर पाया। इस तरह उसका नदी और नदी से जुड़े खेलों से संपर्क हुआ। यह शौक उसमें विकसित होते गया और वह कयाकिंग में निपुण होते चली गई। लेकिन इस शौक में पैसे की समस्या से बढ़ कर और भी कई कठिनाईयां थी। पहला तो यह खेल भारत में अभी बहुत लोकप्रिय नहीं है, दूसरा इसमें महिलाओं की भागीदारी बहुत ही कम है, तीसरा इसमें जोखिम बहुत होता है कि क्योंकि कयाकिंग और राफ्टिंग उफनती हुई नदियों में किया जाता है। इस सबके अतिरिक्त कोचिंग और प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए बहुत ज्यादा धनराशि की जरूरत होती है, जिसके लिए स्पोन्सरशिप की जरूरत होती है। ये तमाम समस्याऐं को उस छोटी सी बच्ची नैना को इस खेल में महारत हासिल करने से रोक नहीं सकी और 2014 में ही ऋषिकेश में आयोजित अंर्तराष्ट्रीय चैंपयिनशिप -‘गंगा कयाक उत्सव’ में बैस्ट डेब्यू प्रतियोगी का सम्मान पा कर इस खेल में अपने भविष्य और भूमिका की दस्तक दे दी थी। आज नैना न केवल अंर्तराष्ट्रीय कयाकिंग में अपनी पहचान बना चुकी है बल्कि यदि आगे आने वाली लंदन कयाकिंग प्रतियोगिता में वह सफल रही तो वह 2024 के पेरिस ओलंपिक में भारत का कयाकिंग प्रतियोगिता में प्रतिनिधित्व कर सकती है।
2022 का साल नैना के लिए उपलब्धियों से भरा रहा है। इस वर्ष उसने जुलाय में आगसबर्ग जर्मनी में विश्व चैंपियनशिप में भाग लिया। अगस्त के महीने में केरल में आयोजित एशिया के सबसे बड़ी कयाकिंग चैंपियनशिप की स्प्रिंट रेस में स्वर्ण पदक हासिल किया। राष्ट्रीय खेलों के कैनो प्रतियोगिता में रजत पदक जीता। मेघालय में आयोजित कयाकिंग प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक और रजत पदक जीता। अक्तूबर में गुजरात में आयोजित राष्ट्रीय खेलों में रजत पदक जीता। अक्तूबर में ही मेघालय में आयोजित प्रतियोगिता में उन्हें कयाकिंग में स्वर्ण और कास्यं पदक हासिल हुआ है। इसी प्रतियोगिता में उन्हें बेस्ट एशियन पैडलर का खिताब भी दिया गया।
दरअसल 2014 में अपने कैरियर का पहला पुरस्कार हासिल करने के बाद उनकी उपलब्धियों का सिलसिला जारी रहा। 2018 में दिल्ली में आयोजित प्रतियोगिता में उन्हें कयाक स्प्रिंट में स्वर्ण पदक मिला। 2018 में राष्ट्रीय कयाकिंग में उन्हें रजत पदक मिला। 2019 में मध्यप्रदेश में आयोजित राष्ट्रीय प्रतियोगिता में उन्हें स्प्रिंट स्लैलोम और कैनो स्लैलोम में उन्हें कांस्य पदक हासिल हुए। 2019 की कैनो स्लैलोम चैंपियनशिप में उन्हें भारत की टीम के लिए चयनित किया गया। 2019 में ही उन्हें गंगा कयाक महोत्सव में बैस्ट महिला पैडलर व टीम चैंपियन का खिताब मिला। इसी वर्ष लद्दाख के आयेाजित होने वाले दुनियां के सबसे ऊँचे कयाकिंग प्रतियोगिता में रजत पदक मिला है।
नैना ने जिस लगन और मेहनत के साथ उफनती नदियों में कयाकिंग और कैनोईंग जैसे खेलों में अपने लिए जगह बनायी है, उससे हमारे शहर और उत्तराखण्ड का नाम रोशन हुआ है। कुछ दिनों के बाद उसे कोचिंग के लिए द0 अफ्रीका जाना है। आशा है कि कुशल प्रशिक्षण पाकर वह लंदन में आयोजित होने वाली विश्व चैंपियनशिप में श्रेष्ठ प्रदर्शन करेगी। उसी आधार पर उसका पेरस ओलंपिक के लिए भारत की ओर से चयन हो सकता है। वह इस मुकाम पर है जहां पर उसे सरकार की ओर से प्रोत्साहन दिया जाना बहुत जरूरी है। उक्त सम्मान समारोह में मुख्य अथिति व स्थानीय विधानसभा सदस्य श्रीमती सरिता आर्या ने कहा कि वे नैना को आर्थिक सहायता देने के लिए प्रदेश सरकार व महिला कल्याण मंत्री से अनुरोध करेंगी।
नैना का कहना है कि उसके लिए नदी में कयाकिंग एक जीवन की वास्तविकता की तरह है। जिस तरह नदी में जो स्थान गुजर चुका है उसके देखा नहीं जा सकता है, इसी तरह आगे आने वाली परेशानियों को अभी पता नहीं किया जा सकता है। केवल वर्तमान में हम जहां पर हैं उसी को जिया जा सकता है उसी के लिए कुछ किया जा सकता है। उसकी यह सोच एक दार्शनिक दृष्टिकोण और परिपक्वता की ओर इंगित करती है। आशा करनी चाहिये कि ये जलपरी निश्चित रूप से आने वाले समय में भारत का नाम रोशन करेगी और कयाकिंग में नये कीर्तिमान स्थापित कर युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा की स्रोत बनेगी।