नीरज भट्ट
मैं ये बात अब कहना जरूरी समझता हूँ या अब चुप नहीं रहा जाता । कल ठीक इसी समय फ़ोन पर अपने दगड़ी से इस बात पर चर्चा हो रही थी कि एक महान लोकगायिका की बेटी के लिए अपना इलाज कराना असंभव हो रखा है हम दिहाड़ी लोग कैसे उनकी मद्दद कर सकेंगे। हर बार पब्लिक फंडिंग करना मुश्किल है हमारे लिए। ठीक इसी वक़्त संस्कृति का तमगा लगाये अलमोड़ा शहर महोत्सव की चमक धमक में रमा हुआ है। होना भी चाहिए इस शहर की पहचान पुख्ता होनी चाहिए । पूरी दुनिया का लोक संगीत यहाँ प्रस्तुत किया जाना चाहिए। देश दुनिया के तमाम समकालीन संगीत को आमंत्रित करना चाहिए। गौरव मनकोटी,पवनदीप राजन,संकल्प खेतवाल जैसे नौजवानों ने टेलीविजन के राष्ट्रीय प्रसारण में जगह बनाई है। हमें इस बात की खुशी मनानी चाहिए।
पर,अपने लोगों का तिरस्कार,अपने कलाकारों का तिरस्कार,अपनी स्थानीय लोकाभिव्यक्ति का तिरस्कार ये कौन सा महोत्सव है भाई। संगीत की जड़ में जाकर देखो लोकसंगीत का जो स्रोत है उसकी हालत क्या है। इसी अलमोड़ा से 5 km किसी भी ओर चल दो और देखो कि लोक के कलाकार किस हालात में हैं , अपने पारंपरिक लोककला के जरिये कोई जीवन जीने की स्थिति में है? कोई नहीं है।
उधर जौहार से लेकर गेवाड़ घाटी तक और काली कुमाऊँ से लेकर नाकुरी की रंगीली भूमि तक हमारे गीदार,हमारे भगनौल गायक,हमारे शकुनाखर,चैती,बसंन्त,न्योली,जागर,रमौल गानेवाले लोग मुश्किल से जीवन की जुगत जुटा रहे हैं तब तुम 4 सितारे कलाकार लाकर इतरा रहे हो। हमारे थल के इलाके के आन सिंह,रीठगाड़ के नारायण राम,सालम की जीवंती देवी और रमेश गोस्वामी, और भी पहाड़ के अलग अलग बोलियों के अनगिनत गुमनाम गायक वादक इस स्थिति में नहीं हैं कि गा बजाकर कुछ अर्जित कर लें,सरकारी मद्दद के नाम पर उन्हें बीरबल की खिचड़ी थमा दी गयी है।इन कलाकारों के जीवन तक तुम्हारे अलमोड़ा महोत्सव की आयातित रोशनी पहुँच सकती है क्या ,कभी नहीं । फिर क्या फायदा ऐसे महोत्सव का। हमारे चैती,बसंन्त,रमौल,भगनौल खोते जा रहे हैं बल्कि खो ही गए उसके लिए क्या कोई महोत्सव है किसी के खयालों में। इसी शहर में लोककलाकार गोपाल चमियाल ने कलाकारों की मांग को लेकर आमरण अंसन किया था ।
जाने क्या समाधान निकला उस मामले का आज तक पता नहींशहर के युवाओं से कहना चाहूंगा कि शहर से बाहर निकलो ,जाओ अपने गाँव अपने पुराने घर आँगन में,वहां देखो जो लोग पहाड़ को जी रहे हैं उनकी कितनी अभिव्यक्ति है आज। सितारों की चमक और लाउडस्पीकर की घमक में खो मत जाना।अपने लोगों और अपने लोगों की स्थिति को भी जरूर देखना।