विनीता यशस्वी
21 दिसम्बर को उत्तराखंड हाइकोर्ट ने अंकिता भंडारी की हत्या के मामले में पत्रकार आशुतोष नेगी द्वारा सीबीआई को जांच स्थानांतरित करने का अनुरोध करने के लिये दायर याचिका पर फैसला देते हुए उनकी याचिका को खारिज कर दिया। उत्तराखंड हाइकोर्ट में संजय कुमार मिश्रा की एकलपीठ ने कहा है कि वे एसआईटी की जांच से संतुष्ट हैं इसलिये यह जांच सीबीआई को नहीं दी जा सकती है। अदालत ने यह जरूर माना कि शुरूआत में इस मामले की जांच में थोड़ी लापरवाही जरूर हुई है।
अदालत ने इस याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि एसआईटी की जांच संतोषजनक है। अदालत ने यह भी कहा कि एसआईटी किसी के दबाव में काम नहीं कर रही है और एसआईटी चीफ पी रेणुका दूसरे राज्य से हैं इसलिये वे निष्पक्ष काम कर रही हैं और किसी के दबाव में नहीं हैं। अदालत ने यह भी कहा कि रिसॉर्ट को तोड़ने से पहले वहाँ से सारे फॉरेंसिक सबूत इकट्ठा कर लिये गये थे और विधायक रेणू बिष्ट ने गुस्सा व्यक्त करने की नीयत से त्वरित कार्यवाही कर रिसॉर्ट को बुलडोज किया था। अदालत ने शासन को यह भी निर्देश दिये कि वे लोअर कोर्ट में अंकिता के लिये एक अच्छे प्रॉसिक्यूटर की नियुक्ति करें।
अंकिता 18-19 सितंबर से लापता थी, जिसके बाद उसकी तलाश शुरू हुई और 24 सितंबर को आरोपियों की निशानदेही पर उसका शव चीला बैराज से मिला। इसके बाद ही विधायक रेणू बिष्ट की उपस्थिति में रिसॉर्ट पर बुलडोजर चलवाया गया।
एसआईटी ने इस मामले में चार्जशीट दायर कर दी है और कोटद्वार जिला न्यायालय में इस मामले पर पहली सुनवाई भी हो चुकी है। याचिकाकर्ता आशुतोष नेगी और अंकिता के माता-पिता अदालत के इस निर्णय से असंतुष्ट हैं। आशुतोष का कहना है कि वे पहले एसआईटी द्वारा दाखिल की गयी चार्जशीट को पढ़ेंगे और अगर वे चार्जशीट से संतुष्ट हुए तो सुप्रीम कोर्ट में अपील नहीं करेंगे पर यदि उन्हें लगा कि चार्जशीट में वीआईपी को बचाने की कोशिश की जा रही है और आरोपियों को सख्त सजा नहीं मिल रही है तो वे न्याय पाने के लिये सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे।
इस मामले की उच्च न्यायालय में पैरवी कर रहे अधिवक्ता नवनीश नेगी का कहना है कि वे अदालत के इस फैसले से असंतुष्ट हैं। उनका मानना है कि अदालत ने उनके केस पर ध्यान ही नहीं दिया जबकि उन्होंने इस मामले में काफी मजबूत दलीलें पेश की थीं।
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