3 Comments

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    Pankaj Kushwal

    स्व. गोपाल सिंह रावत जी शासन को भेजे जाने वाले पत्रों में वर्तनी का और भाषा को बारिकी से जांचते थे। एक पत्र को कई बार लिखकर उन्हें देना पड़ता था लेकिन भाषा पर कभी संतुष्ट नहीं होते थे। उनका मानना था कि पत्र में शब्द कम हो लेकिन शब्दों का चयन ऐसा हो पढ़ने वाले को इस पर कार्यवाही करनी ही पड़े। वह तत्कालीन उत्तर प्रदेश में गंगोत्री से विधायक बलदेव आर्य जी के निजी सहायक थे और तब पत्र हाथ से लिखे जाते थे ऐसे में हाथ से लिखने पर ध्यान रखना होता था कि गलतियां न हो ऐसे में कांट छांट की बजाए नए पेड पर नया पत्र लिखना पड़ता शायद वह लंबे अभ्यास के बाद इसमें सिद्धहस्त हो चुके थे ऐसे में वह हमसे भी अपेक्षा करते कि हर पत्र ढंग से लिखा हो। पत्र की भाषा वर्तनी को वह बहुत बारिकी से देखकर ही हस्ताक्षर करते…
    पत्र लिखने के मामले में जयेंद्र पंवार जी के मुरीद थे, अठाली गांव के निवासी जयेंद्र पंवार 2007 से 2012 तक विधायक गोपाल सिंह रावत जी के निजी सहायक रहे थे, वर्तमान में धनोल्टी विधायक प्रीतम सिंह पंवार के निजी सहायक हैं। जयेंद्र पंवार जी आज भी पत्र हाथ से लिखते हैं, गलतियों की गुंजाईश न्यून होती है, लेखनी ऐसी साफ कि हर अक्षर साफ साफ आंखों के सामने से गुजरता है। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जी ने एक बार विधायक गोपाल सिंह रावत जी से भी पूछा था कि हाथ से इस जमाने इतना अच्छा पत्र लिखता कौन है। कई दफा जयेंद्र पंवार जी भी विधायक गोपाल सिंह रावत जी के पत्र लिखा करते थे।
    सोशल मीडिया पर लिखी जाने वाली टिप्पणी की वर्तनी पर भी विधायक गोपाल सिंह रावत जी बहुत ध्यान देते हैं, भाषा व वर्तनी में अशुद्धि होने पर टोका करते थे और उसे दुरूस्त करने पर ध्यान देते थे। शासकीय पत्रों की ड्राफ्टिंग के लिए वह एक संस्थान जैसे थे….

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    कुलदीप सिंह परमार

    मार्च 2016 में गोपाल सिंह रावत से मेरी मुलाकात गंगोत्री मंदिर में हुई थी , उस दिन वह भाजपा हाईकमान से 2017 के चुनाव की हरी झंडी मिलने पर गंगा मैया का आशीर्वाद प्राप्त करने हेतु गंगोत्री आए थे ।परिचय के उपरांत मैंने उन्हें जीत की अग्रिम शुभकामनाएं दीं तो वह बहुत खुश हुए थे ,अक्टूबर 2018 में वह अपने क्षेत्र के सुक्खी टॉप में मुझे मिले और देखते ही पहचान गए ,तुरंत उठकर हाथ मिलाया और आत्मीयता से मिले ।जबकि मैं मुरादाबाद का निवासी हूं और उनकी विधानसभा का वोटर भी नहीं था ।ऐसे मिलनसार की कमी हमेशा खलेगी । विदाई रावत ,ईश्वर आपकी आत्मा को शांति प्रदान करें ।

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    Pratap

    स्व0 गोपाल रावत जी के बारे में यदि कहीं कुछ भी लिखा जाता हो तो उसमें विजयपाल सजवाण का नाम जरूर जुड़ा मिलता है, किन्तु आपके लेख में उनका नाम नदारद होने की वजह हैरान करती है।

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