नवीन बिष्ट
अल्मोड़ा की नई डीएम वन्दना सिंह ने पत्रकारों से पहली शिष्टाचार मुलाकात में ही जता दिया कि कायदा सबके लिए जरूरी है ! बात थी मास्क की, पत्रकार वार्ता के लिए चयननित कक्ष में प्रवेश करते ही अभिनन्दन की औपचारिकता से पहले ही वन्दना सिंह ने कोविड नियमों का पहला पाठ पढ़ाते हुए कहा कि पहले सभी मास्क पहने। हांलाकि कुछ पत्रकार मि़त्रों को छोड़ सभी ने विधिवत मास्क लगाया था। फिर परिचय का दौर शुरू और समाप्त हो गया। अपनी प्राथमिकता को विकास कार्यों की गुणवत्ता व समय से कार्यों को पूरा करने पर केन्द्रित करते हुए अपने पिछले कुछ विभागों में कार्य करने के दौरान मिले अनुभवों को पत्रकारों से सांझा किया। समस्याओं के त्वरित निराकरण की बात कही। कहा कि सामने चुनाव आ गए हैं, समय कम है इस समय में जो बेहतर से बेहतर होगा किया जाएगा। आम आदमी तक विकास पहुंचे और शासन की नीतियों के अनुरूप विकास हो, यह सब किया जाएगा। चन्द शब्दों में अपनी बात पूरी करते हुए पत्रकारों से सवाल पूछने को कहा। कुछ पत्रकारों ने स्वाथ्य, पेयजल जैसी मूलभूत समस्याओं की ओर ध्यान दिलाया तो कुछ मित्रों ने कलेक्ट्रेट परिसर की ऐतिहासिक धरोहर में विशेषज्ञों की राय के बिना धरोहरों के संरक्षण पर संदेश जाहिर करते हुए जांच की मांग की। कलेक्ट्रट के स्थानान्तरण पर भी सवाल आए। सभी बातों को नोट कर भरोसा दिलाया कि सभी कार्यों को दिखाया जाएगा।
पहली मुलाकत में मिले अनुभव को लेकर यह बताना जरूरी है कि डीएम के आते ही, अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए या सूरत दिखाने के लिए कई राजनीतिक दल पक्ष विपक्ष, कुछ अन्य जब गुलदस्ता लेकर डीएम कक्ष में पहुंचे तो वन्दना सिंह ने गुलदस्ते की परंपरा को गैर जरूरी बताते हुए कह दिया कि यहां यह सब नहीं चलेगा। आप जिस काम से आए हैं काम बताए। ज्ञपान देते कुछ लोगों को ताकीद भी कर दिया कि फोटो नहीं, काम पर विश्वास होना चाहिए। ज्ञापन देने गए एक पत्रकार यूनियन के पदाधिकारियों को भी ताकीद कर दिया कि मैं काम करने के लिए यहां आई हूं। आप भी काम करिए मुझे भी करने दीजिए। फोटो खिंचवाना, छपवाना मेरी प्राथमिकताओं में नहीं है। अब तक देखा गया है कि हर आने वाला नया जिलाधिकारी इसी प्रकार ईमानदारी कर्तव्यनिष्ठा की बात करता है, बाद में पता चलता है कि वह तो हाथी के दांत थे। बहरहाल वन्दना सिंह की पिछले जिलों के कार्य संस्कृति की पत्रकार मित्रों से मिली जानकारी के अनुसार यह जिलाधिकारी उन से दीगर साबित होंगी, अभी ऐसी आशा की जानी चाहिए।
बहरहाल कोई भी जिलाधिकारी जब तबादला होकर आता या आती है तो उसकी ईमानदारी, अनुशासन आचार-व्यवहार पिछले जिले में उसके सभी पक्षों की चर्चा पहले आ जाती है। पिछले जिलों में गढ़वाल से लेकर कुमाउं के पिथौरागढ़ जिले के कनालीछीना विकास खण्ड के ग्राम डूंगरी में हुए अभिनव विकास कार्यां की भी चर्चा सामने आई है। वह आशाजनक है। पिथौरागढ़ जिले के कनालीछीना विकास खण्ड के ग्राम डूंगरी में वन्दना सिंह ने ग्रामीणों व उस गांव की भौगोलिक आदि परिस्थितियों के अनुकूल जो रोजगार परक कार्य किए वहां के ग्रामीणों की आर्थिक उन्नति की दिशा एक दम बदल दी। रोजगार के ऐसे अवसर सृजित किए कि वहां के ग्रामीण वन्दना सिंह के मुरीद हो गए। ऐसी ही उम्मीद अल्मोड़ा के लिए की जानी चाहिए। वहां तो वह डीएम नहीं थी यहां और खुलकर अपनी विकास दृष्टि का भरपूर लाभ दे सकती है। बशर्ते राजनैतिक व सत्ताधारी लोग ऐसा वातावरण बनाने में सहायक हों।
इस सबके चलते लगता है कि यहां के राजनैतिक दलों या सत्ता पक्ष के नेतागण उन्हें चुनाव के बाद कितना स्वीकार कर पाते हैं। क्योंकि भ्रष्ट राजनैतिक तंत्र कितना प्रभावी होता है यह देखना शेष है। दस दिनों के कार्य काल में बेहतरी की आशाऐं पल्लवित हुई है। यह भी देखना है कि नवनियुक्त जिलाधिकारी में एक बात सबसे अलग यह है कि हिन्दी साहित्य की विद्यार्थी रही हैं, उनमें अंग्रेजियत वाली अफरसाशाही कितना प्रभाव दिखायेगी यह भी भविष्य के गर्भ में है। जो भी नया अधिकारी आता है, उसके जाने के बाद लोग अपने-अपने ढंग से उन्हें याद करते रहे हैं। बहुत पहले एक आई.ए.एस. जिलाधिकारी आए थे डी.एस.आर. सुब्रमण्यम 1964 जो कैबिनेट सचिव भी रहे, और केडर 1966-68, सुशील चन्द्र त्रिपाठी 1974-76, मुकुल सनवाल 1976-77, एस के दास 1980-82, केशव देसिराजु 1988-90, प्रभात सारंगी 1996, आर के सिंह 1994-96, संजय भूस रेड्डी, उन्हें, तब से आज भी उनकी ईमानदारी और जनता के प्रति उनकी जवाबदेही को बहुत ही आदर सम्मान के साथ याद किया जाता है। आईपीएस अधिकारी में एक ही याद नाम याद आता है कृष्ण कुमार वी के जो ईमारनदारी की फेहरिश्त के हिस्से बने हुए हैं। कुल मिलाकर नईं जिलाधिकारी से उम्मीद की जानी चाहिए कि वह भी सूची में शामिल होंगी। कुछ जिलाधिकारियों को छोड़ दिया जाए तो ईमानदारी यहां की रवायत रही है। वन्दना सिंह के लिए इसलिए यह सब लिखा या कहा गया कि उनसे उम्मीद की जा सकती है।