विनीता यशस्वी
कनिष्ठ वर्ग में कक्षा – 4, 5, 6 के बच्चों ने भाग लिया। इस वर्ग का विषय था – ‘मेरा प्रिय विषय’। कक्षा के हिसाब से इस वर्ग के बच्चों की भाषा शैली और सुलेख काफी हद तक अच्छा है। ज्यादातर बच्चे हिन्दी और गणित को पसंद कर रहे हैं। एक बच्चे ने संस्कृत को पसंद किया। यहाँ पर इस वर्ग के बच्चों के निबंध की कुछ टिप्णियाँ प्रस्तुत हैं। क्रमांक 3 के बच्चे ने लिखा – सब स्कूलों में हिन्दी भाषा पढ़ाई जाती है। शिक्षक और बच्चे हिन्दी में ही बात करते हैं इसलिये मुझे हिन्दी पसंद है। क्रमांक 5 का बच्चा लिखता है – हिन्दी एक ऐसा शब्द है जो खुद ही हिन्दी में है। जैसे अंग्रेजी को अंग्रेजी में इंगलिश कहते हैं परन्तु हिन्दी को अंग्रेजी में भी हिन्दी ही बोलते हैं। क्रमांक 8 का बच्चा कहता है – हमें यह नहीं पता कि एक वर्ष में कितने दिन होते हैं इसलिये हम इसे कैसे पता कर सकते हैं। गणित से अगर एक साल में 12 महीने तो हम तीस दिन को 12 से गुणा कर देंगे तो हमें पता चल जायेगा कि एक वर्ष में कितने दिन होते हैं इसलिये मुझे गणित पसंद है। क्रमांक 9 के बच्चे ने एक कविता लिखी है हालांकि यह नहीं पता कि बच्चे ने खुद कविता लिखी है या स्कूल में पढ़ी – वह चिड़ियां जो चोंच मारकर, चढ़ी नदी का दिल टटोलकर, जल का मोती ले आती है, वह छोटी गरबीली चिड़िया। क्रमांक 13 बच्चा राय देता है कि – मेरी राय यह है कि अगले साल निबंध प्रतियोगिता में रामचरित मानस या महाभारत या हमारे कोई भी पुरानी संस्कृति से जुड़ी कहानियों के बारे में निबंध आये। क्रमांक 14 का बच्चा कहता है – मुझे अब्दुल कलाम जैसा बनना है और बचपन से ही मुझे जहाज बनाने का शौक है, मैं आज भी खराब कागजों से जहाज बनाता हूँ। क्रमांक 24 के बच्चे ने कहा – अंग्रेजी चाहे मार खाकर सीखी या प्यार से पर मुझे अंग्रेजी बहुत पसंद है। क्रमांक 26 के बच्चे का मानना है कि – मनुष्य जितनी ज्यादा गणित पढ़ता है उसका दिमाग उतना ही तेज होता है, मुझे बड़े होकर पायलट बनता है। क्रमांक 32 के बच्चे ने लिखा – संस्कृत मेरा प्रिय विषय है। क्रमांक 35 के बच्चे ने निबंध प्रतियोगिता की टीम का बधाई देते हुए लिखा कि – आप लोग हर साल निबंध प्रतियोगिता रखते हैं और पुन्य का काम करते हैं। आप लोग हम सब बच्चों की हिन्दी शुद्ध हो इसलिये निबंध प्रतियोगिता रखते हैं। आप लोगों का धन्यवाद।
मध्यम वर्ग में कक्षा 7, 8, 9 के बच्चों ने भाग लिया और इनका विषय था – ‘आपदाओं के लिये जिम्मेदार अनियंत्रित विकास या प्रकृति’। इस वर्ग के बच्चों ने इस विषय को समझा हालांकि बहुत से बच्चों ने जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, का जिक्र भी किया। हिमांचल़, दिल्ली और हल्द्वानी की बाढ़ के बारे में बच्चों ने लिखा है। बहुत से बच्चे बारिश के कारण स्कूलों में हो जाने वाली छुट्टियों से परेशान दिखे। इस वर्ग के कुछ बच्चों की टिप्णियां इस प्रकार हैं। क्रमांक 151 के बच्चे ने लिखा – जहाँ घर नहीं बन सकते वहाँ भी घर बना रहे हैं और होटल बना रहे हैं। नदी नालों के ऊपर रास्ता बनाकर वहाँ भी मकान बना दिये हैं। कुरकुरा, बिस्किट खाकर उसकी पन्नी को भी नालों में फेंक देते हैं और ये कभी गलति नहीं है। दिवाली में पटाखे भी जलाते हैं। क्रमांक 152 के बच्चे ने लिखा – आपदाओं का कारण अनियंत्रित विकास ही है। क्रमांक 155 ने कहा – दिल्ली में बाढ़ में बहुत लोगों की जान चली गयी। इसमें वर्षा का कोई दोष नहीं है। इसमें मनुष्यों की बहुत बड़ी गलती है। वैसे तो बारिश अच्छी है पर इतनी भी बारिश नहीं होनी चाहिये कि सारे स्कूलों में छुट्टी कर दी जाये। क्रमांक 156 के बच्चे ने कहा – हम लोगों द्वारा किये गये अनियंत्रित विकास ने अब ऐसा रूप ले लिया है जिससे बचना नामुमकिन हो गया है। क्रमांक 157 का बच्चा लिखता है – आजकल पेड़-पौंधे कम और फैक्ट्रियां ज्यादा दिखती हैं। आकाश में पक्षी कम हवाई जहाज ज्यादा दिखते हैं। आजकल बच्चे से लेकर बड़े सब बिगड़ गये हैं। पढ़ाई में आगे नहीं है पर पीने-खाने और बुरी आदतों में आगे हैं। क्रमांक 160 के बच्चे ने लिखा – हम पर्यावरण को नष्ट करेंगे तो वो हमें नष्ट करेगा। आपदाओं का मुख्य कारण इंसान ही है और हद तो ये है कि वो कहता है ये कलयुग है और कलयुग में तो ऐसा होता ही है। 161 के बच्चे ने लिखा – हिरोशिमा नागासाकी में बम डाल दिया गया। विकास हर क्षेत्र में हो रहा है ऐसा ही विकास परमाणु बम बनाकर हुआ। क्रमांक 166 के बच्चे ने कहा – अनियंत्रित विकास और मनुष्य की हरकतें आपदा का रूप ले लेती हैं। क्रमांक 170 – मेरा देश भी विकास करे। एक-एक सीढ़ी चढ़कर सफलता प्राप्त करे परन्तु उस विकास से उस जगह पर क्या प्रभाव पड़ रहा है इसे भी ध्यान में रखे। क्रमांक 177 के अनुसार – आपदा प्राकृतिक घटना के साथ-साथ मनुष्य की लापरवाही से हुई घटना भी है। क्रमांक 182 के बच्चे को लगता है – चीन ने एक बांध बनाया जिसकी वजह से धरती के घूमने की गति धीमी हो गयी।
वरिष्ठ वर्ग में कक्षा 10,11, 12 के बच्चों ने हिस्सा लिया। इस वर्ग का विषय था – ‘महंगाई का मेरे और मेरे परिवार पर असर’। इस वर्ग में बच्चों ने बहुत गंभीरता से विषय को समझा और बच्चों के निबंधों को पढ़ने से लगा कि बच्चे कितना महंगाई से परेशान हैं और परेशान होने के साथ ही वो महंगाई के सामाजिक और राजनैतिक कारणों को भी समझ रहे हैं। बच्चे अभी तक भी करोना के दुष्परिणामों से बाहर नहीं निकल पाये हैं और निबंध पढ़ते हुए यह एहसास लगातार बना रहता है कि बहुत से बच्चों के माता-पिता की नौकरी कोरानाकाल में चली गयी जिस कारण उन्हें बहुत बुरी स्थिति में जीवन गुजारना पड़ा और अभी भी वह कोराना की मार का दंश झेल ही रहे हैं। कुछ बच्चे तो पाकिस्तान का जिक्र भी अपने निबंध में करते हैं। कुछों का मानना है कि अगर महंगाई यों ही बढ़ती रही तो हमारे हालात भी पाकिस्तान जैसे हो जायेंगे तो कुछ बच्चों का मानना था कि हमारे हालात पाकिस्तान से बहुत बेहतर हैं। एक बच्चे को लगता है कि यदि महंगाई से बचना है तो खेती करना पड़ेगा। जी.एस.टी का जिक्र भी बहुत बच्चों के निबंधों में रहा है। ज्यादातर बच्चे महंगी शिक्षा और दिन-ब-दिन बढ़ते कॉपी किताब और पैनों के दामों से परेशान दिखे। बहुत से बच्चों ने यह भी कहा है कि बढ़ती महंगाई के कारण उनके पिताजी की सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है। इन निबंधों को पढ़ कर यह भी लगा कि बच्चे टी.वी. में आने वाली चर्चाओं को सुनते हैं क्योंकि इन चर्चाओं में जिन शब्दों के बहुतायत से इस्तेमाल किया जाता है वो शब्द भी बच्चों के निबंधों में पढ़ने को मिले। ज्यादातर बच्चों के सुलेख अच्छे ही लगे और कम बच्चों में ग्रामर की गलतियां पढ़ने को मिली। इस वर्ग के कुछ बच्चों के निबंधों की छोटी-छोटी टिप्णियां यहाँ पर प्रस्तुत हैं – क्रमांक 330 के बच्चे ने कहा – अनेक ऐसे लोग होंगे जिन्होंने इस महंगाई के कारण जानें भी गवांई होंगी। महंगाई के चलते देश में गरीबी, बेरोजगारी, आतंक सब बढ़ रहा है। क्रमांक 332 का बच्चा कहता है – हमारी सरकार ‘विकास’ का स्टेंप लगाकर इस महंगाई नामक वस्तु को काफी सरलता से हमारे घरों तक प्रवेश करा रही है। क्रमांक 336 का कांग्रेस की सरकार के बारे में मानना है कि – श्री मनमोहन सिंह जी ने अपने समय में महंगाई और देश की अर्थव्यवस्था दोनों को सहारा दिया। क्रमांक 337 का बच्चा लिखता है – आज के समय में इलाज कराना भी इतना महंगा हो गया है कि मनुष्य इलाज से ज्यादा पीढ़ा सहने के बारे में सोचता है। क्रमांक 342 के बच्चे का निबंध पढ़ के बहुत दुःख हुआ और यह भी एहसास हुआ कि बच्चे अभी तक भी कोविड महामारी की त्रासदी से बाहर नहीं निकल पाये हैं। इस बच्चे ने लिखा – मेरे ताउजी के बेटे की नौकरी लगी पर करोना में उसे निकाल दिया गया जिससे उसकी शादी टूट गयी। वो इतना हताश हुआ कि उसने खुदकुशी कर ली। क्रमांक 345 के बच्चे का सीधा मानना है कि – देश में महंगाई का कारण है देश की अर्थव्यवस्था और भ्रष्टाचारी नेता। क्रमांक 346 का बच्चा कहता है- महंगाई भी हमारे समाज का महत्वूपर्ण अंग है इसलिये हमें सोचना होगा कि महंगाई नहीं बड़ी तो देश तरक्की नहीं करेगा। क्रमांक 351 के बच्चे ने लिखा – ‘हर वस्तु का दाम बढ़ता जा रहा है, परन्तु कोई नहीं, कुछ समय बाद सब ठीक हो जायेगा’ ये मेरे पिता के शब्द हैं पर मेरे घर की महिलाओं में मैंने महंगाई के कारण आक्रोश झलकता हुआ देखा है। क्रमांक 360 के बच्चे ने लिखा – भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा ‘चन्द्रयान 3’ व ‘आदित्य 4’ जैसे मिशन लॉन्च किये जा रहे हैं जिसके कारण भी चीजें महंगी हो रही हैं। क्रमांक 364 – मेरा परिवार मेरे भविष्य के लिये जो धन एकत्रित कर रहा है महंगाई के कारण उन्हें उसे दूसरी चीजों में खर्च करना पड़ता है। विदेश नीतियां अच्छी हैं पर स्वदेशी नीतियां देश को महंगाई की आग में झोंक देती हैं। आगे ये कहता है- टमाटर मूलभूत चीज नहीं है पर आटा है। यदि आटे के दाम बढ़ जायें तो क्या होगा ? मेरे पिता के कंधों पर मुझे सिर्फ आगे बढ़ाने के लिये होने वाले खर्चे की ही भार थी जिसे महंगाई ने अगले महीने के राशन लाने में लगा दिया। क्रमांक 365 का बच्चा कहता है – खिलौना हो या कपड़ा सभी कुछ महंगा हो गया है। बच्चा उसे खरीदने की जिद नहीं कर पाता है। क्रमांक 367 का बच्चा लिखता है – मुझे पैन या कॉपी के लिये भी पैसे मांगने में टेंशन होने लगा है। क्रमांक 369 का बच्चा कहता है – महंगाई बढ़ने से परिवार ही नहीं देश का संतुलन बिगड़ जाता है। क्रमांक 370 के बच्चे ने लिखा – महंगाई का कारण जनसंख्या भी है। क्रमांक 371 का बच्चा कहता है – हम भले ही कितनी भी बेकार स्थिति में क्यों न पहुँच जायें पहनने के लिये हमें महंगे कपड़े ही चाहिये और खाने के लिये महंगे रैस्टरोंट में ही जाना होता है। क्रमांक 372 का दर्द इन शब्दों से छलकता है कि – महंगाई बच्चों से उनकी विद्या और बूढ़ों से उनकी दवा छीन लेती है। ये बच्चा आगे लिखता है – हम नादान बालकों को महंगाई शब्द का गहराई से पता नहीं है पर इसके रंगढंग देखकर थोड़ा-थोड़ा समझ चुके हैं। महंगाई का हम बच्चों पर ही गहरा असर पड़ता है। क्रमांक 373 के बच्चे का मानना है कि – नेता चुनाव के समय वस्तुओं के दाम कम कर देते हैं और चुनाव जीतने के बाद बढ़ा देते हैं, जिसका उदाहरण गैस सिलेंडर है। क्रमांक 375 के बच्चे ने लिखा – इस महंगाई ने पैसे से रुपये और रुपये से डॉलर तक की जानकारी रखना सिखा दिया। महंगाई ने इस कदर प्रभावित किया है कि माँ को चार मसाले लाने में, भाई को बाइक लेने में सोचना पड़ता है। दीदी शादी के लहंगे में मन मार रही है और मैं कम फीस के कॉलेज की तलाश में हूँ।
प्रतियोगिता के प्रायोजक हैं
नैनीताल बैंक
सन् 1992 से शुरू हुई नैनीताल समाचार की निबंध प्रतियोगिता का यह 29 वाँ संस्करण था। नैनीताल बैंक के आर्थिक सहयोग ये होने वाली यह प्रतियोगिता इस वर्ष पहले रविवार, 13 अगस्त 2023 को प्रातः 11 बजे से अटल उत्कृष्ट राजकीय बालिका इंटर कॉलेज नैनीताल में आयोजित होनी थी पर वर्षा के कारण स्कूलों में छुट्टी हो जाने से इसे 10 सितम्बर 2023 को आयोजित करना पड़ा। कक्षा 4 से कक्षा 12 तक के विद्यार्थियों के लिये तीन वर्गों में होने वाली इस प्रतियोगिता की लोकप्रियता में लगातार वृद्धि हो रही है हालांकि इस वर्ष प्रतियोगिता के दिन बहुत तेज बारिश होने के कारण बच्चों की संख्या में कमी रही पर फिर भी काफी बच्चों ने अपनी रंग-बिरंगी स्कूल ड्रेस में आकर इस प्रतियोगिता को सजीव बना दिया। इस वर्ष इस प्रतियोगता में लगभग 29 विद्यालयों के 121 छात्र-छात्राओं ने भाग लिया था। विद्यार्थी प्रतियोगिता में शामिल होने के लिये नैनीताल नगर के बाहर से भी आते हैं जो इस बार भारी बारिश के कारण संभव नहीं हो पाया। पवन राकेश के संयोजन में होने वाली यह प्रतियोगिता पिछले कुछ वर्षों से डॉ. नवीन चन्द्र कफल्टिया के संचालन में की जा रही है।
इस निबंध प्रतियोगिता का पुरस्कार वितरण रविवार, 1 अक्टूबर को अपरान्ह 3 बजे से अटल आदर्श राजकीय बालिका इंटर कॉलेज, तल्लीताल, नैनीताल के सभागार में हुआ। जिसमें सुप्रसिद्ध नेत्र सर्जन डॉ. विनोद तिवारी ने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए और पॉलिथीन बाबा के नाम से विख्यात प्रो. प्रभात उप्रेती ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। कार्यक्रम का संचालन विनोद पांडे ने किया और विनीता यशस्वी ने बच्चों द्वारा लिखे गए निबंधों की कुछ टिप्पणियों से श्रोताओं को अवगत कराया। इस बार निबंधों को निर्णायकों की ज्यूरी बनाकर जाँचा गया इसलिये सभी वर्गों की कॉपियां सभी निर्णायकों द्वारा जांची गयी। इस बार प्रतियोगिता मैं सुलेख और ग्रामर पर भी बच्चों को नम्बर दिए गए। हर वर्ग से अच्छे सुलेख पर दो बच्चों को भी पुरस्कृत किया गया। निर्णायकों में शामिल थे राजीव लोचन साह, विनोद पाण्डे, दीप पंत, संजीव भगत, मनमोहन चिलवाल, माया चिलवाल, विनीता यशस्वी और जय जोशी।
29वीं नैनीताल समाचार निबंध प्रतियोगिता में इस बार सी.आर.एस.टी.इंटर कॉलेज के दिगम्बर कनौजिया, संदीप कुमार आर्या और चैतन्य कुमार ; भारतीय शहीद सैनिक विद्यालय की दीपिका बहुखंडी, अंजलि बिष्ट, कृतिका बिष्ट, साक्षी बिष्ट, अंजलि फरतियाल और रिया बर्गली ; सनवाल स्कूल की वनिता पांडे, अमन अली, दिव्यांशी बोरा, भारती जोशी और वर्तिका पांडे ; राजकीय बालिका इंटर कॉलेज नैनीताल की हर्षिता भंडारी ; बिड़ला विद्या मंदिर के स्पर्श अग्रवाल और कार्तिक राज ; सेंट जोसेफ कॉलेज के आदित्य जोशी और शौर्यवीर सती ; सेंट स्टेफन स्कूल की अक्षिता जोशी व नीहारिका आर्या ; सरस्वती शिशु मंदिर की कविता ; मोहन लाल साह बाल विद्या मंदिर की समृद्धि पाठक, यशस्वी घुघत्याल, प्रांजल पपनोई, वैशाली अधिकारी और खनक ठठोला ; बसंत वैली पब्लिक स्कूल की प्रतीक्षा जोशी ; राजकीय शहीद सैनिक विद्यालय के सत्यम जोशी ; न. अ. साह जगाती सरस्वती विद्या मंदिर की शीतल टम्टा तथा मोहन लाल साह बालिका इंटर कॉलेज की मनीषा सफल रहे हैं। प्रतियोगिता में ज्यादातर लड़कियां विजयी रही।इस बार चल वयजन्ति भारतीय शहीद सैनिक विद्यालय नैनीताल को मिली। भारतीय शहीद सैनिक विद्यालय की दीपिका बहुखंडी इस बार लगातार पाँचवी बार विजयी रही जिसके लिए डॉ विनोद तिवारी द्वारा 5000 रुपये की धनराशि देकर उसे सम्मानित किया गया।