शर्मनाक बात यह है कि पंजीकरण के हिसाब से प्रदेश देश में चौथे स्थान पर है
राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त एवं विकास निगम के 170 जिलों में सव्रे के आंकड़े
प्रदेश के तीन जिले देश के उन जिलों में जहां सबसे ज्यादा हाथ से मैला ढोने वाले
अरविंद शेखर
चंद रोज पहले उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में पांच सफाई कर्मियों की सीवर लाइन साफ करते समय दम घुटने से मौत हो गई। प्रदेश में भी ऐसी घटनाओं की खबरें आती रहती है। इन सब घटनाओं के बावजूद प्रदेश में आज भी 7440 लोग हाथ से मैला ढोने का काम रहे हैं। यह बात और है कि राज्य सरकार मानती है कि यह संख्या केवल 6033 है।
शर्मनाक बात यह है कि प्रदेश देश में चौथे स्थान पर है। प्रदेश के तीन जिले देश के उन 14 राज्यों में हैं जहां सबसे ज्यादा हाथ से मैला ढोने वाले (मैनुअल स्कैवेंजर्स) हैं। हरिद्वार जिला देश में हाथ से मैला ढोने वालों की संख्या के मामले में तीसरे स्थान पर है और देहरादून चौथे स्थान पर। ऊधमसिंह नगर 14वें स्थान पर है। यह सब तब जबकि देश में पहली बार 1993 में मैला ढोने की प्रथा पर प्रतिबंध लगाया गया था। इसके बाद 2013 में कानून बनाकर इस पर पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया और कोई मैला ढोने का काम कराने पर सजा का प्राविधान कर दिया। यह बात और है कि देश में अब तक इस कानून के तहत किसी को सजा देने की जानकारी नहीं है।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अधीन काम करने वाली संस्था राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त एवं विकास निगम (एनएसकेएफडीसी) के सूचनाधिकार के जरिए मिले 2018 में 18 राज्यों के 170 जिलों में सव्रे के आंकड़ों के मुताबिक इन जिलों में कुल 86,528 लोगों ने खुद को मैला ढोने वाला बताते हुए रजिस्ट्रेशन कराया। सव्रे के मुताबिक प्रदेशों की सरकारों ने माना कि देश में 41120 हाथ से मैला ढोने वाले हैं। ये आंकड़ा साल 2013 में कराए गए पिछले सव्रे के मुकाबले करीब तीन गुना अधिक है। तब 13 राज्यों में सव्रे कराए गए थे, जिसमें 14,505 मैनुअल स्कैवेंजर्स की पहचान की गई थी।
सव्रे में अगर राज्य सरकारों द्वारा माने गए आंकड़ों को देखा जाए तो देश में सबसे ज्यादा 18,529 मैनुअल स्कैवेंजर्स उत्तर प्रदेश में हैं़ यहां के कुल 47 जिलों में सव्रे कराया गया था, हालांकि राज्य सरकार ने अब तक 43 जिलों की ही रिपोर्ट सौंपी है और चार जिलों की रिपोर्ट मिलनी अभी बाकी है। इन जिलों के 39,683 लोगों ने खुद को मैनुअल स्कैवेंजर बताते हुए रजिस्ट्रेशन कराया था लेकिन राज्य सरकार ने इनमें से करीब 47 फीसदी यानी कि सिर्फ 18,529 लोगों की ही पहचान बतौर मैला ढोने वाले व्यक्ति के रूप में किया। दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र है, जहां कुल 7,378 लोगों को मैनुअल स्कैवेंजर माना गया है़ यहां के कुल 14 जिलों में सव्रे कराया गया था। महाराष्ट्र एकमात्र ऐसा राज्य है जिसने रजिस्ट्रेशन कराने वाले सभी लोगों को मैनुअल स्कैवेंजर माना है।
वहीं उत्तराखंड के तीन जिलों में 6,033 लोगों की पहचान मैनुअल स्कैवेंजर के रूप में हुई है। जबकि 7044 ने पंजीकरण कराया है। इस सूची में चौथे नंबर पर राजस्थान है। राज्य के कुल 20 जिलों में सव्रे कराया गया था, जहां 7,381 लोगों ने रजिस्ट्रेश कराया लेकिन सिर्फ 35 फीसदी यानी कि 2,590 लोगों को ही मैनुअल स्कैवेंजर माना गया है़ राज्य के इन 20 जिलों में 12 जिलों ने दावा किया है कि उनके यहां मैला ढोने वाला एक भी व्यक्ति नहीं हैं़आंध्र प्रदेश के पांच जिलों में सव्रे के दौरान 2024 लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया, लेकिन सिर्फ 1982 लोगों को ही मैला ढोने वाला माना गया.
कर्नाटक के छह जिलों में 1,754 व्यक्तियों को मैनुअल स्कैवेंजर माना गया है़ इन जिलों में 1,803 लोगों न रजिस्ट्रेशन कराया था। मध्य प्रदेश ते 14 जिलों में 8,572 लोगों ने खुद को मैनुअल स्कैवेंजर बताते हुए रजिस्ट्रेशन कराया लेकिन राज्य सरकार ने सिर्फ करीब साढे छह फीसदी यानी कि 562 लोगों को ही मैला ढोने वाला माना। गैर-सरकारी संस्था राष्ट्रीय गरिमा अभियान के सदस्य आशिफ शेख के मुताबिक मैला ढोने वालों की संख्या इससे बहुत ज्यादा है। राज्य सरकारें जान-बूझकर इसे कम दिखाने कोशिश करतीं हैं, क्योंकि वे सोचती हैं कि असली संख्या ज्यादा होने से उसकी बदनामी होगी।
बता दें कि मैला ढोने वालों का पुनर्वास सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की मैला ढोने वालों के पुनर्वास के लिए स्व-रोजगार योजना (एसआरएमएस) के तहत किया जाता है़इस योजना के तहत मुख्य रूप से तीन तरीके से मैला ढोने वालों का पुनर्वास किया जाता है। इसमें एक बार नकद सहायता के तहत मैला ढोने वाले परिवार के किसी एक व्यक्ति को एक मुश्त 40,000 रुपये दिए जाते हैं। इसके बाद सरकार मानती है कि उनका पुनर्वास कर दिया गया है। इसके अलावा मैला ढोने वालों को प्रशिक्षण देकर भी उनका पुनर्वास किया जाता है़ इसके तहत प्रति माह 3,000 रुपये के साथ दो साल तक कौशल विकास प्रशिक्षण दिया जाता है़ इसी तरह एक निश्चित राशि तक के लोन पर मैला ढोने वालों के लिए सब्सिडी देने का प्रावधान है।
जिलावार हाथ से मैला ढोने वालों की तादाद
शाहजहांपुर (उप्र) 3,225
जेपी नगर (अमरोहा-उप्र) 2,965
हरिद्वार (उत्तराखंड) 2,531
देहरादून (उत्तराखंड) 2,256
मुरादाबाद (उप्र) 2,135
संभल (उप्र) 1,489
हरदोई (उप्र) 1,330
कासगंज (उप्र) 1,195
बदायूं (उप्र) 1,165
नासिक (महाराष्ट्र) 2,799
औरंगाबाद (महाराष्ट्र) 1,107
मैसूर (कर्नाटक) 1,226
अनंतपुर (आंध्र प्रदेश) 1,454
ऊधमसिंह नगर (उत्तराखंड) 1,246
मैन्युअल स्कैवेंजर्स के राज्यवार आंकड़े
राज्य पंजीकृत राज्य सरकार ने माना
उत्तर प्रदेश 39683 18529
मध्य प्रदेश 8572 00562
राजस्थान 7381 2590
उत्तराखंड 7440 6033
महाराष्ट्र 7378 7378
गुजरात 4757 0000
आंध्र प्रदेश 2024 1982
कर्नाटक 1803 1754
तमिलनाडु 1433 0062
पश्चिमी बंगाल 1329 0637
हरियाणा 1221 0000
केरल 916 0600
असम 876 0542
पंजाब 636 0142
तेलंगाना 288 0000
जम्मू-कश्मीर 254 0000
झारखंड 246 0201
कुल योग 86528 41120