विनोद पंत आज भले ही हमारे खेत बंजर हो रहे हैं | हम गुणी बानरों की बात कहकर खेती छोड रहे हों पर एक समय वो भी था जब खेती के लिए लोग नौकरी छोडकर घर आ जाते थे | मैने कई लोग देखे हैं कि तीन भाई ह... Read more
चन्द्रशेखर तिवारी पहाड़ के उच्च शिखर, पेड़-पौंधे, फूल-पत्तियां, नदी-नाले और जंगल में रहने वाले सभी जीव-जन्तुओं के साथ मनुष्य के सम्बन्धों की रीति उसके पैदा होने से ही चलती आयी है। समय-समय पर... Read more
विनीता यशस्वी ‘खतड़ुवा’ कुमाऊं का एक पारम्परिक त्यौहार जिसे आश्विन मास की प्रथम तिथि या १५ सितम्न्बर के आस पास मनाया जाता है। यह भी माना जाता है कि ‘खतडुवा’ से सर्दियों की शुरूआत हो जाती है।... Read more