राजू सजवान
‘डाउन टू अर्थ’ से साभार
जोशीमठ में व्यापक स्तर भूधंसाव की शुरुआत को दो माह बीत चुके हैं, लेकिन अब तक न तो भूधंसाव के कारणों का खुलासा किया गया है और ना ही बेघर हुए लोगों की आवास के लिए स्थायी इंतजाम किए गए हैं। यही वजह है कि अभी भी लोग डर के साये में रह रहे हैं।
उधर सरकार की पूरी कोशिश है कि जोशीमठ की वर्तमान हालत का असर चार धाम यात्रा पर न पड़े। खासकर जोशीमठ से होकर गुजरने वाले बद्रीनाथ राजमार्ग का विशेष ख्याल रखा जा रहा है। बावजूद इसके राजमार्ग जगह-जगह टूट रहा है।
बद्रीनाथ जाने वाले राजमार्ग का एक बड़ा हिस्सा जोशीमठ से होकर गुजरता है। मुख्य रास्ता नृसिंह मंदिर से होकर निकलता है। जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति से जुड़े नगर पालिका, जोशीमठ के पूर्व सभासद प्रकाश नेगी कहते हैं कि राजमार्ग पर छावनी बाजार से लेकर नीचे पेट्रोल पंप तक और मारवाड़ी के आसपास आए दिन गड्डे बन रहे हैं। कुछ जगहों पर सड़क धंसी भी है।
वह बताते हैं कि सड़क पर कई ऐसे गड्डे बन गए हैं, जिनकी गहराई का अंदाजा ऊपर से नहीं लग पा रहा है। जैसे कि एक गड्डा इतना गहरा था कि तीन ट्रक मलबा डालने के बाद भरा। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा रोजाना मरम्मत की जा रही है। लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि यह सिलसिला थमेगा या नहीं।
चार धाम खुलने की तारीख घोषित होने के बाद उत्तराखंड सरकार ने तीर्थयात्रियों की रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। सरकार का कहना है कि यात्रियों के पंजीकरण के बाद एक निर्धारित संख्या में चार धामों में भेजा जाएगा, लेकिन अब तक इस संख्या का खुलासा नहीं किया गया है।
सोशल डेवलपमेंट फॉर कॉम्युनिटीज (एसडीसी) फाउंडेशन के अध्यक्ष अनूप नौटियाल बताते हैं कि पिछले साल भी सरकार ने चार धाम यात्रा से पहले तीर्थयात्रियों के रजिस्ट्रेशन की घोषणा की थी और यात्रा शुरू होने से तीन दिन पहले अलग-अलग धामों में रोजाना जाने वाले यात्रियों की संख्या निर्धारित कर दी, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी और यात्री बड़ी संख्या में पहुंच चुके थे। इससे ऋषिकेश व अलग-अलग जगहों में अव्यवस्था फैल गई और सरकार यात्रियों को रोक नहीं पाई।
नौटियाल कहते हैं कि जोशीमठ आपदा से सबक लेते हुए सरकार तुरंत चारों धाम की वहन क्षमता का अध्ययन करते हुए पहले ही स्पष्ट कर देना चाहिए कि रोजाना कितने तीर्थयात्रियों को यात्रा की इजाजत दी जाएगी। साथ ही, यात्रियों के साथ-साथ स्थानीय लोगों की सुरक्षा का प्लान पहले ही तैयार कर लेना चाहिए।
पुनर्वास नीति स्पष्ट नहीं
जोशीमठ में भूधंसाव का शिकार लोगों के लिए अब तक स्पष्ट पुनर्वास नीति की घोषणा नहीं की गई है। हाल ही में राज्य सरकार की ओर से भवनों के मुआवजे को लेकर सरकारी आदेश (जीओ) जारी किया। इसके मुताबिक, आवासीय भवनों के लिए 31,201 रुपए प्रति वर्गमीटर से लेकर 36,527 रुपए प्रतिवर्ग मीटर मुआवजा तया किय गया है। जबकि व्यावसायिक भवनों के लिए 39,182 रुपए प्रति वर्गमीटर से लेकर 46,099 रुपए प्रति वर्गमीटर मुआवजा की दरें तय की गई हैं।
लेकिन इस आदेश में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि वर्तमान में भारत सरकार के आठ तकनीकी संस्थानों द्वारा जोशीमठ क्षेत्र में हो रहे भूधंसाव व भूस्खलन का तकनीकी दृष्टिकोण से अध्ययन परीक्षण किया जा रहा है। इस रिपोर्ट के आधार पर यह तय किया जाएगा कि जोशीमठ का कितना क्षेत्रफल असुरक्षित घोषित किया जाएगा और कितने परिवारों को विस्थापित किया जाएगा। इसी रिपोर्ट के आधार पर स्थायी पुनर्वास नीति तय की जाएगी।
जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती कहते हैं कि हमने सरकार के इस आधे अधूरे आदेश को खारिज कर दिया है और मांग की कि जल्द से जल्द तकनीकी रिपोर्ट को सार्वजनिक करके स्थायी पुनर्वास की नीति के बारे में बताया जाए। सती कहते हैं कि अब तक आठों तकनीकी संस्थानों की रिपोर्ट का खुलासा क्यों नहीं किया जा रहा है, यह शंका जोशीमठ के हर नागरिक को परेशान कर रही है। इससे ही यह स्पष्ट होगा कि जोशीमठ का पूरा इलाका कितना सुरक्षित है।
17 जनवरी 2022 को राज्य के सचिव आपदा प्रबंधन रंजीत कुमार सिन्हा ने प्रेस को जारी एक बयान में बताया था कि केन्द्र सरकार के तकनीकी संस्थानों को जोशीमठ के अर्न्तगत आपदाग्रस्त क्षेत्र की अध्ययन रिपोर्ट देने के लिए समयसीमा निर्धारित की गई है।
सिन्हा के मुताबिक केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) के 10 वैज्ञानिकों की टीम को तीन सप्ताह, राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआई) के 10 वैज्ञानिकों की टीम को प्रारम्भिक रिपोर्ट दो सप्ताह तथा अन्तिम रिपोर्ट तीन सप्ताह, वाडिया संस्थान के सात वैज्ञानिकों की टीम को प्रारम्भिक रिपोर्ट दो सप्ताह तथा अन्तिम रिपोर्ट दो माह, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) के सात वैज्ञानिकों की टीम को प्रारम्भिक रिपोर्ट दो सप्ताह तथा अन्तिम रिपोर्ट दो माह, केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) के चार वैज्ञानिकों की टीम को प्रारम्भिक रिपोर्ट एक सप्ताह तथा अन्तिम रिपोर्ट तीन सप्ताह तथा आईआईआरएस को एक सप्ताह में प्रारम्भिक रिपोर्ट तथा तीन माह में अन्तिम रिपोर्ट उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं। लेकिन अब तक ये रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई है।
भारी बारिश का डर
इन दिनों जोशीमठ का मौसम बदल गया है। 27 फरवरी को यहां हल्की बारिश हुई और ठंड बढ़ गई। हालांकि इस बारिश का असर दरारों व भवनों पर तो नहीं दिखा, लेकिन इस बारिश के बाद स्थानीय लोगों की चिंता और बढ़ गई है। सती कहते हैं कि मॉनसून के दौरान भारी बारिश की वजह से जोशीमठ में कहीं भी बड़ा नुकसान हो सकता है, लेकिन प्रशासन ने अब तक स्पष्ट नहीं किया है कि मॉनसून के दौरान की उसकी तैयारियां क्या हैं?