वर्षा सिंह
‘डाउन टू अर्थ’ से साभार
टूटकर नदी में समाते घर, दरकते-टूटते पुल, सड़कों पर दौड़ता नदियों-गदेरों का पानी। उत्तराखंड के पौड़ी जिले की तलहटी में बसा कोटद्वार इस समय भारी बारिश की मार झेल रहा है। शिक्षक विमल ध्यानी याद करते हैं “8-9 अगस्त की रात हुई बारिश ने कोटद्वार में 17-18 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। यहां 12 घंटे में 277 मिलीमीटर से ज्यादा बारिश हुई। हमने ऐसी बारिश पहले नहीं देखी”।
कोटद्वार में भारी बारिश के चलते खोह नदी उफान पर है। नदी के तेज बहाव में किनारे बसे घरों का कटाव हो गया है। शहर की सड़कों पर गदेरों का पानी बह रहा है। विमल बताते हैं “बारिश में इस बार यहां बहुत नुकसान हुआ है। क्योंकि यहां आबादी ज्यादा है, अवैध कब्जा ज्यादा है, लोगों ने नदियों के ठीक किनारे घर बनाए हैं। कुछ घर तो ऐसे हैं कि इनमें झाड़ू लगाएं तो कचरा नदी में गिरेगा।”
कोटद्वार से विधायक और विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी भूषण कहती हैं “पहाड़ों में बादल फट रहे हैं और इसका असर तराई के इलाकों में हो रहा है। लोगों के घर टूट रहे हैं। हमें इस समय लोगों को बारिश से बचाना है।”
बारिश में आ रहे बदलाव को वह भी महसूस करती हैं। वह कहती हैं “8 अगस्त की रात कोटद्वार के नजदीक यमकेश्वर और दुगड्डा में बादल फटे थे। उस समय कोटद्वार में भी 3-4 घंटे इतनी भयंकर बारिश हुई कि लगा बादल यहीं फटा है। हैरत की बात थी कि शहर के एक कोने में बारिश हो रही थी और दूसरे कोने में बिलकुल नहीं हो रही थी। बादल फटने जैसी बातें हमने पहले कभी नहीं सुनी थी।”
“हमें लोगों को जागरूक करना होगा कि नदियों के किनारे घर न बनाएं। बदलती जलवायु के मुताबिक हमें घर,सड़कें और पुल समेत बुनियादी ढांचे को तैयार करना होगा”, विधानसभा अध्यक्ष अपने क्षेत्र में बारिश से हुए नुकसान को लेकर परेशानी जताती हैं।
गढवाल मंडल के तराई में जो स्थिति कोटद्वार की है, वैसे ही हालात कुमाऊं मंडल के तराई वाले क्षेत्र हल्द्वानी और उधमसिंह नगर में है। 8-9 अगस्त की भारी बारिश के बाद यहां सड़कों पर नदी की तर्ज पर पानी दौड रहा था। लोगों के घर रहने के लिहाज से असुरक्षित हो गए।
हल्द्वानी में गौला नदी तेज बहाव में बह रही है। जबकि काठगोदाम में कलसिया नाले का पानी लोगों के घरों में घुस गया है। जिससे मकान क्षतिग्रस्त होने और घरों को नुकसान पहुंचने की खबरें हैं।
उधमसिंह नगर जिला आपातकालीन परिचालन केंद्र के मुताबिक भारी बारिश और जलभराव के चलते सुरक्षा के लिहाज से सितारगंज और खटीमा के 99 परिवारों के 461 लोगों को प्राथमिक विद्यालयों में ठहराया गया है।
ऋषिकेश में 434.6 मिमी, नीलकंठ में 244 मिमी, टिहरी के नरेंद्र नगर में 180.1 मिमी, चंपावत के टनकपुर में 124 मिमी, जौलीग्रांट में 109 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई।