जगमोहन रौतेला
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत एक बार फिर से बेहद सक्रिय हो गए हैं. फरवरी के महीने उन्होंने पहले गढ़वाल लोकसभा सीट और उसके बाद अल्मोड़ा व नैनीताल -ऊधमसिंहनगर लोकसभा सीट का दौरा किया. अपने इस दौरे में उन्होंने जहां कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की, वहीं कई स्थानों पर पार्टी नेताओं से मेल-मुलाकात भी की. त्रिवेन्द्र रावत ने अपने दौरे को किसी राजनैतिक चश्मे से देखने की बजाय, इसे पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं के साथ मुलाकात का एक सामान्य शिष्टाचार बताया.
त्रिवेन्द्र के दौरे के राजनैतिक मायने इसलिए निकाले जा रहे हैं कि उन्होंने देहरादून बेरोजगारों पर पुलिस द्वारा किए लाठीचार्ज की न केवल निंदा की, बल्कि उसके लिए बेरोजगारों से माफी तक मांगी. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में अपनी मांगों को लिए प्रदर्शन करना एक लोकतांत्रिक अधिकार है. प्रदर्शन वाले बेरोजगार युवा उनके अपने ही बच्चों की तरह हैं. उन्होंने कहा कि अगर प्रशासन थोड़ा भी धैर्य से काम लेता तो लाठीचार्ज की घटना से बचा जा सकता था. उन्होंने कहा कि बेरोजगारों पर जो बेवजह लाठीचार्ज हुआ, उसके लिए उन्हें व्यक्तिगत तौर पर न केवल दुख हुआ, बल्कि वे इस घटना के लिए बेरोजगार युवाओं से माफी भी मांगते हैं.
उल्लेखनीय है कि विभिन्न भर्ती परीक्षाओं में हुए पेपर लीक घोटालों की सीबीआई जांच की मांग को लेकर बेरोजगारों द्वारा की गई रैली पर बिना किसी कारण के पुलिस द्वारा किए लाठीचार्ज किए जाने से प्रदेश का राजनैतिक तापमान इन दिनों बढ़ा हुआ है. जब प्रदेश सरकार इस मामले में डैमेज कंट्रोल में लगी हुई है, तब एक पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा लाठीचार्ज की घटना पर माफी मांगने जैसे बयान उनकी ही पार्टी की सरकार को अप्रत्यक्ष तरीके से सवालों के कठघरे में खड़ा करते हैं. बागेश्वर में तो गत 20 फरवरी 2023 को त्रिवेन्द्र रावत ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का नाम लिए बगैर कहा कि देहरादून में बेरोजगारों पर हुआ लाठीचार्ज गलत था, इसके लिए माफी मांग लेनी चाहिए. वह किससे माफी मांगने को कह रहे थे? यह इशारा सब समझते हैं. उनके इस बयान को मुख्यमन्त्री पुष्कर सिंह धामी पर राजनैतिक हमले के तौर पर देखा जा रहा है. उन्होंने कहा कि पुलिस यह तक नहीं बता पा रही है कि उसने किसके आदेश पर लाठीचार्ज किया. उन्होंने कहा कि वह एक बार फिर से लाठीचार्ज को लिए बेरोजगारों से माफी मांगते हैं.
महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के पद मुक्त होने के बाद उत्तराखण्ड लौटने पर त्रिवेन्द्र रावत ने कहा कि इससे राज्य में कोई अलग राजनैतिक पावर सेंटर नहीं बनेगा. इस तरह के कयास तथ्यों पर आधारित नहीं हैं. कोश्यारी महाराष्ट्र के राज्यपाल बनने से पहले उत्तराखण्ड के मुख्यमन्त्री, उत्तराखण्ड से ही लोकसभा और राज्यसभा सांसद रह चुके हैं. उन्हें राज्य की बेहद अच्छी समझ है. उनके अनुभवों का लाभ उत्तराखण्ड को मिलेगा. पर इसमें एक नए राजनैतिक पावर सेंटर जैसी कोई बात नहीं है. आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने के सवाल पर त्रिवेन्द्र ने कहा कि अभी कुछ सोचा नहीं है, पर पार्टी नेतृत्व जो भी आदेश देगा, वही किया जाएगा.
त्रिवेद रावत ही नहीं, बल्कि केन्द्रीय रक्षा राज्य मन्त्री व नैनीताल -ऊधमसिंहनगर लोकसभा सीट के सांसद अजय भट्ट ने भी गत 21 फरवरी 2023 को रामनगर (नैनीताल) में पत्रकारों से बातचीत में माना कि बेरोजगारों पर लाठीचार्ज गलत हुआ. उन्होंने साथ ही लाठीचार्ज के लिए तथाकथित अराजक तत्वों को जिम्मेदार बताया और कहा कि कुछ अराजक तत्वों ने बेरोजगारों की रैली में शामिल होकर माहौल को खराब किया. उन लोगों ने पुलिस पर पथराव किया. जिसके बाद स्थिति को अराजक व अनियंत्रित होने से बचाने के लिए ही पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री धामी मामले की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश कर चुके हो. रिपोर्ट में जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी.
पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं के लाठीचार्ज को लेकर दिए गए बयानों से मुख्यमन्त्री धामी को किसी तरह की राजनैतिक चुनौती नहीं मिल रही है, ऐसा धामी का खेमा मानता है. उनके एक बहुत ही निकट के भाजपा नेता ने कहा कि यह सामान्य राजनैतिक बयान हैं. जब तक प्रधानमंत्री मोदी का धामी पर विश्वास है, तब तक कोई खतरा नहीं है. और यह विश्वास इस बीच और मजबूत हुआ है. मुख्यमन्त्री धामी का खेमा भले ही निश्चिंत हो, लेकिन इन बयानों ने भाजपा के अन्दर व सत्ता के गलियारों में चर्चाओं की गर्म हवा तो उड़ा ही दी है.