रेवती बिष्ट होली आई होली आई रे कन्हैया सुना दे जरा बांसुरी… होली आई रे कन्हैया, रूठे श्याम को होली में मना लूंगी, तुम राज के छोरे मैं नंद गांव की बाला, आला रे आला नंदलाला आला रे जरा चु... Read more
बीना बेंजवाल द्यूर-भौज भेना-स्याळ खट्टि मजाक मिट्ठि गाळ चखळ-पखळ लपोड़ा-लपोड़ि सर्म-ल्याज छोळ यालि रंगमत्त बणैगे बणैगे। हो-हो-हो होरि ऐगे। होली के आनन्द और उल्लास का रसोत्सव मनाती नरेन्द्र सिंह... Read more
उमा भट्ट प्रश्न : आपने होली गाना कैसे सीखा ? क्या आप बचपन से ही होली गाती थीं ? जवाब : मेरा बचपन गाँव में बीता। बागेश्वर के पास तिलसारी गाँव है हमारा। मेरी शादी 23 साल की उम्र में हुई।तब तक... Read more
सुभद्रा कुमारी चौहान (‘बगरो बसंत है’ में इस बार प्रस्तुत है ‘खूब लड़ी मर्दानी वह तो…’ ख्याति की कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान की एक गद्य रचना। ... Read more
संकलन : चित्ररेखा उप्रेती ऐसी चतुर ब्रज नारि रंग में हो रही बावरी ऐसी नवल ब्रज नारि रंग में हो रही बावरी कित मन उड़त गुलाल कित मन केसरी होली एक मन उड़त गुलाल सवा मन केसर होली काहे पे छिड़कत श्य... Read more
गोविन्द पंत ‘राजू’ अखिल भारतीय संगीत नाटक अकादमी द्वारा जहूर आलम को सम्मानित किए जाने से समूचे उत्तराखंड के रंग कर्म को एक नई ऊर्जा मिली है क्योंकि ज़हूर आलम का सम्मान एक व्यक्ति... Read more
जयप्रकाश पंवार ‘जेपी’ पिछले साल से उत्तराखंडी फिल्मों का एक नया दौर शुरू हुआ है, खासकर गढ़वाली फ़िल्में जो कभी सीडी, डीवीडी और लाइव स्ट्रीमिंग चैनल, ओटीटी पर थी अब मल्टीप्लेक्स और सिनेमा घरों... Read more
ब्रजमोहन जोशी होली अभिव्यक्ति का ऋतु परिवर्तन का पर्व है। इस अंचल में पूस मास को व पूस मास के प्रथम रविवार को बहुत ही पवित्र माना गया है। लोक देवी -देवताओं के थान में छः मासी – व (बैंस... Read more
बिजू नेगी मानव प्रजातियां पिछले 70,000 सालों से जटिल भाषाओं का प्रयोग करती आ रही हैं। ऐसे में, भारत के इतिहास में मौलिक युगान्तर परिवर्तनों को समझने के लिए सबसे सही तरीका होगा इस बात का परि... Read more