2 Comments

  1. 1

    mamtakalia011@gmail.com

    विजय सती आपने हंगरी समाज,कला और साहित्य से जुड़ी दुर्लभ सामग्री इस लेख में दी है।इसे भारत और हंगरी के प्रिंट मीडिया में छपने को दें।यह जानकारी देशों को एकमेक करने के लिए ज़रूरी है।सात पैसे कहानी मैंने पढ़ी हुई है

  2. 2

    Kiran

    आदरणीया मैम
    सादर प्रणाम
    सदा की भांति आपकी लेखनी में मनोभावों का सुंदर चलचित्र प्रस्तुत हुआ है।
    पेतोफी शांदोर की क्रांति और प्रेम का अनूठा समन्वय फिर असफल विवाह की वेदना और अमृता शेरगिल की कला और संगीत का सामंजस्य,अकाल मृत्यु ,
    मोरित्स की वेदना सभी ने आंखो के समक्ष अतीत को वर्तमान में जीवंत कर दिया।बहुत मर्मस्पर्शी संस्मरण हैं।
    आपने सही कहा कला का अंत नहीं होता,धरोहर के रूप में संचित रहती है।
    अपरिचित पात्रों के संगीत,राष्ट्रीयता से भरपूर जीवन और साहित्य से परिचित कराने और ज्ञानवर्धन के लिए बहुत बहुत आभार।🙏

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