केशव भटृट
नए मोटर व्हीकल एक्ट का जगह-जगह विरोध हो रहा है. सोचने वाली बात है कि ये विरोध कौन कर रहे हैं. ये वहीं हैं न जो अपनी बिगड़ चुकी आदतों से बाज नहीं आना चाहते हैं. वो मानते हैं कि उनकी जान जाए या अंग—अंग टूट जाएं, सरकार कौन होती है हमें टोकने वाली. हम सड़क में मौत का करतब दिखाते हुए स्टंट करें, या शराब की मस्ती में डूब जाएं, ये हमारी मर्जी है. हमें इसी में असीम आनंद मिलता है.
इस बीच कुछ खबरों पर नजर गई तो नया मोटर वाहन एक्ट सही लगा. एक खबर पूणे की थी.
पुणे के बारामती में हनुमंत बनकर ने अपने छोटे भाई की पत्नी की तेरहवीं पर लोगों को 70 हेलमेट बांटे. उनकी मौत एक सड़क हादसे में हुई थी और हादसे के वक्त उन्होंने हेलमेट नहीं लगा रखा था. वहीं एक दूसरी घटना पर नजर पड़ी. उत्तर प्रदेश के रामपुर में मकसूद और उनकी बेगम रूखसाना अपने चौदह साल के बालक मारूफ के सांथ हंसी—खुशी गुजर—बसर कर रहे थे. बेटे की हर जिद्व वो पूरी कर दिया करते थे. इसी जिद्व के चलते उन्होंने मारूफ को स्कूटी दे दी. वो बिना हेलमेट के ही स्कूटी दौड़ाता फिरता था. एक बार बाइक फिसली और मारूफ का सिर डिवाइडर से टकरा गया और उसे गंभीर चोट आई. तुरंत ही उसे मुरादाबाद के बड़े अस्पताल में ले जाया गया. यहां कोई फायदा नहीं हुवा तो उसे दिल्ली के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां उसे 70 दिन तक आइसीयू में रहा. मारूफ आज तक जिंदा तो है लेकिन होश में नहीं है, वो कोमा में है. इस बात को अब पांच साल हो गए हैं. तब से वो बिस्तर में ही है. वो न कुछ बोल सकता है और न ही हिलडुल सकता है. मां—बाप पांच साल से उसकी सेवा में लगे हैं. अब तक उसके ईलाज पर दो करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च हो चुका है.
मारूफ बेड पर ही वह जवान हो गया है. जब उसका एक्सीडेंट हुआ था, तब उसका चेहरा साफ था, अब दाढ़ी-मूछ निकल आई हैं.
भारत में ये कानून सितंबर माह से ही शुरू हुवा है, जिसके खिलाफ कुछेक आवाजें भी उठ रही हैं और ये आवाजें उन्हीं की हैं जिन्हें नियमों पर चलना अपनी शान के खिलाफ लगता है. वो ये नहीं जानते हैं कि विदेशों में ये कानून कितना सख्त है.
अमेरिका में ड्राइविंग करते समय मोबाइल पर बात करेंगे, तो 10,000 डाॅलर लगभग 7.23 लाख रुपए का जुर्माना भरना पड़ता है और एक साल तक जेल की सजा का प्रावधान है. रूस में शराब पीकर ड्राइविंग करने को बिल्कुल भी बर्दास्त नहीं किया जाता है. ड्रिंक एंड ड्राइव पर 50,000 रूबल तक जुर्माना लगता है और तीन साल तक के लिए चालक का लाइसेंस निलंबित कर दिया जाता है. सिंगापुर में बिना सीट बेल्ट के गाड़ी चलाने पर 120 डॉलर के जुर्माने के सांथ ही तीन महीने से अधिक की अवधि के लिए जेल का सजा भी प्रावधान है. सिंगापुर में शराब पीकर गाड़ी चलाते हुए पकड़े जाने पर 5,000 डॉलर का जुर्माना और छह महीने की जेल की सजा है. दूसरी बार पकड़े जाने पर 10,000 डॉलर का जुर्माना और बारह महीने की जेल की सजा होती है. रूस में तो कार गंदी रखने पर ही सरकार ने जुर्माना लगा रखा है, बांकी नियम तो फिर क्या होंगे आप सोच सकते हैं.
दुर्घटनाओं की घटनाएं हर किसी को विचलित करती हैं. बावजूद इसके ये कोई नहीं समझना चाहता है कि हेलमेट पहनकर या सीट बेल्ट बांधकर वाहन चलाना खुद अपनी जिंदगी के लिए बहुत जरूरी है, न कि पुलिस के लिए. यातायात पुलिस चालान इसीलिए काटती है ताकि लोग अपनी सुरक्षा के प्रति सचेत रहें. जुर्माना कई गुणा बढ़ाने के पीछे भी यही मंशा है. ताकि आपको अपनी लापरवाही की इससे कहीं बड़ी कीमत न चुकानी पड़ जाए.
इस कानून में खामियां हो सकती है लेकिन बेलगाम अनुशासनहीन वाहन चालकों को अनुशासन में लाने के लिए यह उपाय बहुत उपयोगी है. हाँ! इसे लागू करने के लिए पुलिस की कार्यप्रणाली को भी दुरूस्त करने की आवश्यकता है. इतने बिगड़ैल व्यवस्था को ठीक करने में समय तो लगेगा ही. डर से ही कानून का पालन करता है मानव यह उसका स्वभाव होता है. इसलिए समर्थन दीजिये इस कानून को. इस तरह की हड़ताल करने के वजाय ये एक हड़ताल अपनी आदतों को सुधारने में ही करेंगे तो दुर्घटनाओं में कुछ तो कमी आएगी ही. वैसे भी ये नियम तो खुद के लिए ही हैं. और इन कानूनों को न मानने की मनोस्थिति वाले शख्स तो एक लोडेड वैपन की तरह होते हैं, जो अपने सांथ न जाने कितनों की जिंदगी खत्म कर देते हैं..