नैनीताल समाचार द्वारा 14 अगस्त 2022 को एक निबंध प्रतियोगिता आयोजित की गई थी जिसका रिजल्ट 11 सितम्बर 2022 को घोषित किया गया। यह प्रतियोगिता तीन वर्गों – वरिष्ठ वर्ग, मध्यम वर्ग ओ कनिष्ठ वर्ग में विभाजित थी। आज यहाँ पर वरिष्ठ वर्ग के छात्रों द्वारा लिखे गए निबंधों की कुछ टिप्पणी दे रहे हैं। आने वाले समय में मध्यम व कनिष्ठ वर्गों की टिप्पणी भी प्रकाशित की जायेंगी। – सम्पादक
बसंती पाठक
नैनीताल समाचार की स्कूली बच्चों के लिए प्रतिवर्ष आयोजित होने वाली निबंध प्रतियोगिता २०२२ में वरिष्ठ वर्ग के लिए इस बार का विषय था “क्या हैं नैनीताल के खतरे और क्या है उनका इलाज़”
इसमें कोई विवाद नहीं कि १९९० के दौर से शुरू उदारवादी अर्थव्यवस्था ने आज भयानक रफ़्तार पकड़ ली है. इस रफ़्तार से जायज़ और नाजायज़ आर्थिक कार्यकलापों में कोई फर्क नहीं रह गया है अगर वह आर्थिक फल दे रहे हों . नैनीताल नगर में नगरपालिका नैनीताल का जो रुतबा हुआ करता था वह नगरपालिका आज किसी कोने में दुबकी नज़र आती है, नैनीताल जो शिक्षा, स्वास्थ्य या सुन्दरता के केंद्र के रूप में प्रतिष्ठित था और जहाँ पर्यटन एक सीमित गतिविधि हुआ करती थी वहां आज शिक्षा और स्वास्थ्य सीमित दायरे में आ गए हैं, सुन्दरता खतरे में है और पर्यटन खतरनाक रूप से फैलता जा रहा है. यह दर्द, यह चिंता, यह भय लगभग हर प्रतिभागी की पंक्तियों में झलक रहा था.
इस विषय पर लगभग हर बच्चे को इतनी जानकारी थी कि नैनीताल में कई समस्याएँ उत्पन्न हो गयी हैं जो इस प्रकार हैं, शहर की जनसँख्या में अपार वृद्धि, शहर में गंदगी का बहुत बढ़ना, तालाब में प पेड़ों का काटा जाना, भवन निर्माण में बेतहाशा बढ़ोत्तरी, जंगली जानवरों पर संकट आना. प्रतिभागियों ने माना कि नैनीताल की पारिस्थितिकी बहुत नाज़ुक है. इसे अंग्रेजों ने बहुत ही हिफाजत से रखा मगर आज इसके प्रति संवेदनशीलता नहीं रही इसलिए इस पर कई संकट मडराने लगे हैं. क्रमांक १०२ लिखते हैं – जितना यह शहर बाहर से सुन्दर दिखता है उतना ही अन्दर से भयानक और खतरनाक हो सकता है ”
बच्चे हमारा भविष्य है मगर देखने में आया कि सब प्रतिभागी बच्चों में भविष्य के प्रति एक गंभीर चिंता, एक दुःख झलकता है कि प्रशासन और जनता दोनों नैनीताल में हो रहे विनाश को जान कर भी अनदेखा कर रहे हैं. कुछ बच्चों ने तो यहाँ तक लिख दिया कि नैनीताल के लिए खतरा यहाँ के लोग ही हैं जो अपनी जिम्मेदारियां नहीं निभाते. गन्दगी करते हैं, पेड़ों को काटते हैं, अवैध निर्माण करते हैं आदि. क्रम १०४ लिखता है- “यदि कोई बाहरी व्यक्ति आकर आपके घर को गन्दा करने लगे तो हमारा क्रोधित होना जायज़ है परन्तु यदि हम स्वयं अपने घर को स्वच्छ न रखें तो यह जायज़ न रह जाएगा…..आपका घर किसी जगह तक सीमित है परन्तु आपकी सोच को कोई सीमित नहीं कर सकता इसलिए हमें गहराई से इस विषय को सोचकर पूरे शहर को अपने घर सामान मान कर स्वच्छ रखने का प्रयास करना चाहिए ”
क्लाइमेट चेंज से भी बच्चे परिचित हैं. क्रमांक १०६ ने लिखा – ” जहां कभी तापमान वृद्धि नहीं होती थी, समय पर वर्षा होती थी, भूमिक्षरण से जिस नैनीताल का दूर दूर तक वास्ता नहीं था वहां आज कभी भीषण गर्मी और बेमौसम बरसात होती है तो कभी वर्षा ही नहीं होती “. क्रमांक १०३ – “पहले हर वर्ष बहुत बारिश होने पर भी यहाँ कुछ नुकसान नहीं होता था पर पिछले कुछ वर्षों से थोड़ी जोर की बारिश होने के कारण पेड़ कटाव, पहाड़ कटाव आदि होने लगे हैं. नैनीताल के चारों तरफ घटते वनों की ओर भी विद्यार्थियों का ध्यान गया है. क्रमांक १०६ लिखते हैं- शहर में पेड़ लगाने की प्रतियोगिता कराई जानी चाहिए जिसमें प्रत्येक घर में ज्यादा नहीं १-२ पेड़ों का पालन पोषण किया जाए और जिस पेड़ को सबसे अच्छी तरह उगाया जाय उसके पालनकर्ता को पुरस्कृत किया जाए.”
बच्चे हमारी आज की प्रगति की दिशाहीनता से भी बहुत चिंतित हैं. क्रमांक १०५ ने लिखा – “मनुष्य भगवान द्वारा बनाया ऐसा प्राणी है जो बेहद ज्ञान और अपने चतुर दिमाग के साथ वृद्धि करता जा रहा ह यह एक ऐसा प्राणी है जिसने आधुनिक दुनिया में सबसे बड़ा आविष्कार किया है जो कि है कंप्यूटर, परन्तु यह एक ऐसा प्राणी भी है जिसे हर चीज़ को नष्ट और आहत करने में बहुत आनंद आता है. इसने हर चीज़ को आहत करने के बाद अपनी माँ समान धरती को भी नहीं छोड़ा” क्रमांक १०१ ने लिखा – “नैनीताल में पहाड़ों के गिरने का खतरा हमेशा बना रहता है …ज्यादातर आबादी अपने प्राण दाँव पर लगा कर इस डेंजर जोन में रहते हैं …..नैनीताल में जनसंख्या पर नियंत्रण रखना जरुरी है क्योंकि ज्यादा लोग होने के कारण पहाड़ पर जोर पड़ता है और वह खिसकते हैं. यही कारण कि बरसात के मौसम में वह ढह जाते हैं. क्रमांक ११२ के अनुसार – “जनसंख्या दर बढ़ती जा रही है. वह नैनीताल में भार बनती जा रही है. हर चीज़ की सहन शीलता होती है इस लिए हमें किसी पर इतना भार नहीं देना चाहिए कि उसकी सहन करने की क्षमता ही समाप्त हो जाए व वह एक संकट का रूप धारण कर ले.”
नगर में अंधाधुंध अवैध निर्माण पर एक विद्यार्थी ने लिखा – “कोरोना के विकराल समय में जहाँ एक तरफ पूरा विश्व कोरोना से लड़ रहा था जहाँ प्रधानमन्त्री कोरोना को देश से दूर करने में थे वहीँ नैनीतालवासी एक मंजिल को दो मंजिल, दो मंजिल को तीन मंजिल करने में लगे थे. “क्रमांक १२३ कहते हैं – “नैनीताल में जहाँ जानवर रहते थे वहाँ भी लोगों ने अपना घर बना लिया है. ”
नैनीताल के बहुत से स्थायी निवासी समेत बहुत सारे पर्यटक इस ग़लतफ़हमी से ग्रस्त हैं कि तालाब की मछलियों को ब्रेड, चना, मूंगफली खिलाना भला काम है और मनोरंजक भी, मगर ये नितांत गलत है ये कुछ प्रतिभागी भी जानते है. क्रमांक १५४ – “लोग मछलियों को ब्रेड, रोटी आदि खिला देते हैं उन्हें पता नहीं होता कि मछलियाँ अपना पोषण तालाब की सतह के पौंधों से ले लेती हैं और बाहर की चीजें खा लेने से उन्हें नुकसान हो सकता है”
इसी तरह जहाँ पर्यटन से अकूत धन कमाने में व्यस्त एक लॉबी पर्यटकों और पर्यटन को बेरोकटोक बनाये रखना चाहती है वहीँ बच्चे अपनी जागरूकता का परिचय देते हुए लिखते ह क्रमांक १५७ बहुत ही साफगोई और मासूमियत से लिखता है ” पर्यटकों की भीड़ नैनीताल के लिए खतरा है, हमारे शहर के होटल वालों और रेस्टोरेंट वालों को पर्यटकों के आने से बहुत फायदा होता है परन्तु नैनीताल शहर को काफी नुकसान झेलना पढ़ता है.” स्थानियों द्वारा शहर छोड़ने और बाहर के लोगों के लोगों का यहाँ धंधे के लिए बसने पर चिंता दर्शाते हुए क्रमांक १३३ लिखता है- “जब बाहर का आदमी यहाँ बसेगा तो वो क्यों इस शहर के अस्तित्व को बचाने में मेहनत करेगा. क्या आप किसी दूसरे के घर में जाकर सफाई या उसका अपने घर जैसा ख्याल करेंगे? “क्रमांक ३५० ने तो बहुत ही मार्मिक पंक्तियाँ लिखी- “पर्यटकों का (बेहिसाब) आगमन धीरे-धीरे नैनीताल को खोखला करता जा रहा है, रहने एवं खान पान की व्यवस्था के लिए प्रतिदिन अवैध निर्माण किये जा रहे हैं और जो नैनीताल अपनी सुन्दरता पर गुरूर करता था वह मिटता जा रहा है. होटलों के बोझ तले नैनीताल दबता चला जा रहा ह अब यहाँ बेडू पाको की जगह गाड़ियों का शोर सुनाई देता है, नैना देवी के मंदिर की गूँज की जगह लड़ाई और झगडे एवं गालियाँ सुनाई देती हैं ” क्रमांक १३०- ” पर्यटक नैनीताल की शान तो बढ़ा देते हैं परन्तु उनको यह भी सोचना चाहिए कि अगर वो नैनीताल में भी बड़ी-बड़ी गाड़ियां लेकर आ जायेंगे तो जाम सुबह, दो पहर, शाम लगा रहेगा. तो क्या फर्क बचेगा बड़े शहरों और नैनीताल में ? क्रमांक १०९ “शहर में वाहन नियंत्रण के लिए दिल्ली सरकार की तरह ‘ओड इवन ‘ फार्मूला लगाया जाना चाहिए. क्रमांक ११३- “हमें नैनीताल को प्रदूषण से मुक्त बनाना चाहिए अगर हम पैर या साइकिल का प्रयोग करें तो यह ज्यादा लाभदायक होगा ”
क्रमांक १२९- ” सैलानियों के आने जाने के कुछ नियम बनाने चाहिए. वे उसी अनुसार शहर में भ्रमण करें …………कूड़े को खुलेआम जलाना निषिद्ध हो. “क्रमांक १२५ ” नैनीताल में कूड़ेदान तो होते हैं पर कूड़ेदान में कूड़ा नहीं होता, अधिकतर कूड़ा या तो सड़कों पर,झील में या कूड़ेदान के आसपास बिखरा हुआ होता है. क्रमांक १२९- “नैनीताल में कूड़ा करकट फ़ेंकने के लिए जुर्माना तो है लेकिन इतनी सख्ती नहीं है. सी सी टी वी होने के बावजूद कोई सुधार नहीं है. क्रमांक १०९ –“शहर में वाहन नियंत्रण के लिए दिल्ली सरकार की तरह ‘ओड इवन ‘ फार्मूला लगाया जाना चाहिए.
खतरे दो किस्म के होते हैं एक जो आँखों से चिन्हे जा सकते हैं जैसे भूस्खलन, प्रदूषण, भीड़, ट्रेफिक जैम आदि. मगर कुछ खतरे छुपे हुए होते हैं. बच्चों में, में नशे की तेजी से बढ़ती प्रवृत्ति ऐसा ही एक प्रछन्न खतरा है जो एक नज़र में नज़र नहीं आ सकता मगर आज यह बहुत गहरी जडें जमा चुका है. इसका कारण बच्चों पर ज्यादा नम्बर लाने, पढ़ाई के साथ तमाम गतिविधियों में अपने साथियों से ज्यादा अच्छा साबित होने का दबाव, दिशाहीनता, समाज के गिरते आदर्श, नशीले पदार्थों की उपलब्धता और आजमाने की उत्सुकता जैसे बहुत से कारण हैं जो नशे की समस्या को बहुत गंभीर रूप में ला चुके हैं, कुछ बच्चों ने इस तरफ ध्यान खींचा है. क्रमांक १२४- ” नैनीताल की युवा पीड़ी बिगड़ रही है ……बहुत से बच्चे ड्रग्स के शिकार हो रहे हैं. नैनीताल में बहुत सी ऐसी जगहें हैं जिन्हें बच्चे अपने नशे आदि के लिए इस्तेमाल कर रहे है”