राजशेखर पन्त
दक्षिण भारत की इस यात्रा का विज्ञापन, जो कि कथित रूप से पर्वतीय समाज के लोगों के लिए शुभ यात्रा त्रियाँशा प्राइवेट लिमिटेड हल्द्वानी द्वारा आयोजित की गई है, संभवतः सभी ने देखा होगा। कोई श्री मनोज तिवारी इसके आयोजक हैं। ये दावा करते हैं कि अब तक 5700 कुमाउँनी यात्रियों को सफल यात्रा करावाने का अनुभव चुके हैं।
मेरे परिवार के कुछ सदस्य भी इस यात्रा में गए हुए हैं। विज्ञापनों में यात्रा में शामिल डेस्टिनेशंस और सुविधाओं का संदर्भ लीजिये। इस समय (शनिवार, 21 जनवरी, प्रातः 9.30 पर।) सभी यात्री रामेश्वरम में एक गंदी सी धर्मशाला के एक कमरे में पड़े हैं। प्रातः 4 बजे से। इन्हें अभी तक चाय या नाश्ता कुछ भी उपलब्ध नहीं करवाया गया है। दो बजे यहां से इनकी मदुरै के लिए ट्रेन है। अधिकांश यात्री बुजुर्ग हैं जिन्हें दवाइयाँ लेनी हैं। इन सबका सामान दूसरे आटो से आ रहा है। ये आयोजक इतने अनुभवी हैं कि आज अमावस को इन्होंने रामेश्वरम दर्शन निश्चित किया है, जब कि यहां लाखों यात्रियों की भीड़ पहले से इकट्ठा है। स्पष्ट है, जब दो बजे मदुरै के लिए निकलना है तो रामेश्वर मंदिर के दर्शन इन बेचारों को कहां से होंगे, अन्य पर्यटक स्थल और समुद्र वगैरा तो भूल जाइए।
ये आयोजक इतने अनुभवी हैं कि तिरुपति बाला जी के दर्शनों के लिए उपलब्ध आन लाइन व्यवस्था की इन्हें कोई जानकारी नहीं है। वहीं पहुंच कर इन्होंने टिकिट बुक किये, इस अव्यवस्था के चलते बहुत से यात्री 10, 11 घंटे के इंतज़ार के बाद भी दर्शन नहीं कर सके। तिरुपति स्थित अन्य मंदिरों, स्थलों की बात तो छोड़ ही दीजिये। एसी होटल का सपना बेच कर सभी यात्रियों को तिरुपति में ट्रेन के समय से घंटों पहले रेलवे स्टेशन पर लाकर पटक दिया। बसों (2×2 ए सी 😊) के इंतज़ार में घंटों रुकवाने के बाद टेम्पो से गंतव्य तक भेजना तो अब तक की यात्रा के दौरान आम रहा है, नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से पहाड़गंज के होटलों का पैदल सफर तो खैर इनकी घोर अव्यवस्थाओं को देखते हुए नज़रअंदाज़ किया जा सकता है। स्पष्ट है सारी व्यवस्थाएं तात्कालिक हैं, अनुभवी आयोजक होने का दावा यात्रियों से पैसे ऐंठने का एक जरिया भर है। यात्रा में साथ गए कथित गाइड्स का व्यवहार भी निहायत गैर पेशेवर रहा है।
अभी, मदुरै, कन्याकुमारी, पद्मनाभन ओर विवेकानंद रॉक की यात्रा बाकी है। देहली वापस लौटने की तारीख 23 जनवरी है। साफ है, कुछ और रेलवे स्टेशंस, धर्मशालाओं इत्यादि की ड्योढ़ी छुवा कर सभी यात्रियों को वापस भेज दिया जाएगा। “बहुत ही बढ़िया यात्रा रही, बहुत बढ़िया…” कहते हुए कुछ बुजुर्ग, सीधी-साधी पहाड़ी आमाओं की तस्वीरें ‘शुभ यात्रा’ प्राइवेट लिमिटेड की वेबसाइट में और चस्पा हो जायेंगी, और यह सिलसिला चलता रहेगा।
हमारी सरकार तो ऐसी खुली धोखाधड़ी और लूट को नियंत्रित करने से रही, बेहतर होगा कि यात्रा के लिए रेजिस्ट्रेशन “पहाड़ियों द्वारा, पहाड़ियों के लिए” जैसे सीधे, सरल और सहज विश्वास के वशीभूत हो कर न करें।