बी0 आर0 पंत
किसी भी क्षेत्र की वनस्पतियां चाहे वे मुख्य हों या फिर सूक्ष्म से सूक्ष्म वहां की धरातलीय बनावट एवं जलवायु पर निर्भर होती है। नैनीताल एक ऐसा जनपद है जो समतल मैदानी क्षेत्र जो 300 मी0 समुद्र सतह से व वधाण स्थली 2623 मी0 ऊंचाई तक फैला है, अर्थात वानस्पतिक दृष्टि से विविधताओं से ओत प्रोत है। उच्चावच मुख्यतः जलवायु को निर्धारित करता है, जबकि जलवायु के अनुसार ही वनस्पतियों का क्षेत्र विकसित होता है।
प्रस्तुत में नैनीताल जनपद की वनस्पतियों को बहुत ही विस्तृत रूप से लिखा गया है, नैनीताल जहां एक ओर उत्तरी में मध्य हिमालय में फैला है तो तराई उसकी दक्षिणी सीमा है, एक ओर उपोष्ण जलवायु क्षेत्र है तो दूसरी ओर गर्म शीतोष्ण तथा शीत शीतोष्ण जलवायु वाला क्षेत्र है। पुस्तक में तराई भाबर शिवालिक, नदी घाटियों, पर्वतीय ढालों एवं चोटियों के साथ-साथ उत्तरी पश्चिमी नमी युक्त तथा दक्षिणी पूर्वी शुष्क ढालों में उगने वाली वनस्पतियों का विवरण प्रस्तुत किया है। गर्म प्रदेशों में उगने वाली साल, सागोंन, खैर, अमलतास, तुन, वहेड़ा, हल्दू, ताड, हरड़, सेमल, गुडहल, यूकेलिप्टस आदि वनस्पतिक प्रजातियों की प्रचुरता है। ज्यों—ज्यों धरातल की ऊंचाई बढ़ती है तापमन में शुष्कता बढ़ती जाती है, जिसमें विभिन्न प्रकार की चीड़ तथा अन्य झाड़ियां आदि पायी जाती है। ऊंचाई पर देवदार, बुरांश, बांज मिलता है। जिस स्नानों में नमी की अधिकता होती है उनके नीचे अनेकों प्रजातियों की छोटी-छोटी वनस्पतियां उगती है।
पुस्तक में नैनीताल की ऐतिहासिक, भौगोलिक जानकारी के साथ भूगर्भिक जानकारी भी दी गई है। रंगीन मानचित्र एवं फोटो ने पुस्तक को आर्कषक बना दिया है। पुस्तक में पाद प्रदेश की सभी वनस्पतियों का उल्लेख किया है। नैनीताल जनपद में पैदा होने वाले खाद्यानों, दहलनों, तिलहनों प्रमुख फलों के पेड़ों का भी उल्लेख किया है। मौसम परिवर्तन के साथ-साथ उगने वाली वनस्पतियों को भी सम्मिलित किया है। वनस्पतियों को प्रभावित करने वाले कारकों तथा वनाग्नि, वनों का कटान, चरागाह, कृषि प्रतिरूप, मृदा अपरदन, भवन निर्माण आदि को भी पुस्तक का हिस्सा बनाया गया है। नैनीताल जनपद में स्थित नन्धौर, गौला नदी, अभ्यारण्यों के साथ जिम कार्बेट पार्क का भी वर्णन है। पं0 गोविन्द पन्त स्थलयीय प्राणी उद्यान का उल्लेख करना भी लेखक नहीं भूले।
औषधीय वनस्पतियों की सूची पुस्तक के 34-36 पृष्ठ में दी गई है। मुख्य प्रजाति की वनस्पतियों का विवरण भी पृष्ठ 37 -42 में दिया है लुप्त प्रायः वनस्पतियों की सूची भी पृष्ठ 43-45 में दी है। वनस्पति विज्ञान के अतिरिक्त उत्सुक शोधार्थियों एवं अध्येताओं के लिए स्थानीय नामों की सूची पृष्ठ 42-43 वनस्पतियां दी गई है, पुस्तक के संकलन में लेखक बहुत ही परीक्षण किया है।
‘फ्लोरा आफ नैनीताल डिस्ट्रिक्ट’ डॉ0 बी0 एस0 कालाकोटी जी के द्वारा लिखी गई एक मूल रिसर्च का काम है, इस पुस्तक में नैनीताल जिले में पाये जाने वाली 1720 प्रजातियां, फूल खिलने वाले पौधों का विवरण है, तथा 158 फेमिलि में वर्गीकृत किए है, तथा 9 प्रकार के जिम्नोस्पर्म का भी उल्लेख है। पुस्तक में करीब 38 प्रजातियां उच्च हिमालय की तरफ माइग्रेट कर गयी है। जो पहले नैनीताल में दिखाये गये थे तथा 162 प्रजातियां बहुत ही कम मात्रा में हैं, इसका कारण जलवायु परिवर्तन तथा पौधों की उपलब्धतता वाली जगहों पर सड़क या इमारती आवास का भी एक कारण है।
डॉ0 कालाकोटी एक पर्यावरणविद तथा औद्यौगिक सलाहकार हैं, जिन्होंने बहुत सारी औद्योगिक कम्पनियों में काम किया है तथा उद्योग लगाये हैं, वर्तमान में भी डॉ0 कालाकोटी हर्बल उद्योग की कम्पनी से ही जुड़े हैं, डॉ0 कालाकोटी को उद्योगों में प्रयोग होने वालें सभी जड़ी बूटियों का 40 साल का अनुभव है, डॉ0 कालाकोटी इन्टरपेन्योर स्किल विकास में भी काम कर चुके हैं। पुस्तक को पाने के लिए डॉ0 कालाकोटी से सीधे 9867578336 पर सम्पर्क किया जा सकता है, पुस्तक को अविचल प्रकाशन हल्द्वानी से भी प्राप्त किया जा सकता है, जिनका मोबाईल नम्बर 9412714210 है, यह पुस्तक वनस्पतियों में रूचि रखने वाले शोधार्थियों, शिक्षकों, पर्यावरणविदों आदि के लिए बहुत उपयोगी है। पुस्तक के लेखक तथा प्रकाशक दोनों ही बधाई के पात्र है।
फोटो : इंटरनेट से साभार