लाल सिंह चौहान
समाचार माध्यमों से जानकारी मिली है कि आई.सी.एफ.जी.आर. बायोटैक दिल्ली के डॉ. श्यामसुन्दर मसकपल्ली और आई.आई.टी. मण्डी के डॉ. रंजन नन्दा व डॉ. सुजाता सुनील ने अपने एक शोध में पाया है कि बुराँश कोविड के इलाज में बहुत उपयोगी पाया गया है। इस शोध का विस्तृत ब्यौरा अभी नहीं मिला है, मगर हिमालय क्षेत्र में रहने वालों के लिये यह अच्छी खबर है।
पेड़-पौंधों का उपयोग जन्तु जगत का प्रत्येक प्राणी अपने आदिकाल से करता आ रहा है तथा यह निर्विवाद रूप में सिद्ध है कि जहाँ वनस्पतियों का अस्तित्व नहीं होगा वहाँ जीवन की कल्पना असंभव है। इस श्रृंखला में ऑक्सीजन, पानी, भोजन, छत्रछाया, आवास, वस्त्र, ह्यूमस एवं आर्युवेदिक औषधियों का उपयोग उल्लेखनीय है।
5,000 ईसा पूर्व ऋग्वेद में 67, यजुर्वेद में 81, अथर्ववेद में 295 प्रकार के आयुर्वेदिक औषधीय पौधों का वर्णन मिलता है। चरक संहिता में 1,100, सुश्रुत संहिता में 1,270 औषधीय पौंधों के गुणों का प्रभाव वर्णित है। इन्हीं औषधीय पौंधों में मध्य हिमालय क्षेत्र में पाया जाने वाला एक पौंधा है बुरांश, जिसका उपयोग जन्तु जगत अनादि काल से कर रहा है। इसके सम्पूर्ण उपयोग एवं लाभ को जानने से पहले इसका परिचय जानना अति महत्वपूर्ण है।
भारत में इसे बुरांश, नेपाल में द्योनास, लाल गुरांश एवं वानस्पतिक नाम के अनुसार इसे रोडोडेंड्रोन के नाम से जाना जाता है। यह इरीकेसी परिवार का पौंधा है जो मध्य हिमालय के कश्मीर से भूटान तक 1,500 मी. से 3,300 मी. की ऊँचाई तक, खासी हिल में 1,000 से 3,000 मी, बर्मा, नीलगिरी, पलनीज, आसाम एवं ट्रेवनकोर में 1,500 मी की ऊँचाई तक पाया जाता है। यह जंगली पौधा है और वर्तमान तक इसकी खेती नहीं की जाती है। सामान्यतया सदाबहार 1.5 मी. व्यास एवं 7.5 मी. ऊंचाई तक का यह एक पेड़ है जो सामान्य तापमान होने पर फरवरी माह से फूल देना प्रारम्भ कर देता है। बुरांश के जिन भागों का उपयोग किया जाता है उनका वर्णन इस प्रकार है :
नई पत्तियां : नई पत्तियाँ विषैली होती हैं फिर भी इनका लेप बनाकर माथे पर सिर दर्द को भगाने के काम आता है। नई पत्ती एंटी सेफेलेजिक होती हैं। इसके पुष्प की पंखुड़ियां मध्य नाड़ी चक्र, मध्य तंत्रिका तंत्र उद्दीपकों तथा कैंसर रोधी रसायनों से संतृप्त होती हैं। इसके पौंधे की छाल पेट दर्द का सफाया करती है लेकिन ये सभी कार्य आयुर्वेदाचार्य की सलाह व देखरेख में किया जाना चाहिये।
रासायनिक रूप में इसकी पत्तियों में ट्राइटरपेनोयाइड, फ्लेवोनोयाइड-3, 10-इपोजाइग्लूटीनेन, आर्सेनिक एसिड, एल्फा एवं बीटा एमाइरिन, फ्राइडैलिन एैप्पी फ्रेडानॉल, क्वैरिसिटिन, ताराजिरोल, ताराजिराइल एसिटेट, बिटा सिटोस्टिरोल, बीटूलाइनिक एसिड आदि रसायन पाये जाते हैं।
इसकी छाल से अर्सोलिक एसिड एवं क्वैरसैटिन तत्व रसायन होता है। यह संदर्भ डीआरडीओ बुलेटिन 2000 से लिया गया है। समाचार पत्रों में प्रकाशित बुरांश से संबंधित खबरों एवं संचार माध्यम से जारी बुलेटिन के अनुसार वायरस कोरोना-19 के उपचार के लिये यह रामबाण है। वास्तविक रूप में आशा की किरण ही नहीं अपितु बुरांश की पंखुड़ियों स शुद्ध रूप में निर्मित पेय पदार्थ नियमित रूप से ग्रहण करने पर मानव जाति क लिये कोविड-19, माइग्रेन, पेट दर्द, श्वसनतंत्र, नाड़ीतंत्र, तंत्रिका तंत्र एवं कार्सेजैनिक उपचार में वरादान साबित होंगे।
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