दिनेश उपाध्याय
‘चिपको आंदोलन’ से प्रेरित होकर ‘थानो बचाओ’ मुहिम प्रारंभ की गई है। 18 अक्टूबर को ‘थानो बचाओ’ को लेकर प्रथम प्रदर्शन किया गया। इस कार्यक्रम के तहत पेड़ों पर रक्षा सूत्र बांधा गया। प्रदर्शन में थानो के स्थानीय निवासियों के अतिरिक्त ऋषिकेश, देहरादून एवं भानियावाला के निवासियों ने भागीदारी की। प्रदर्शनकारियों द्वारा रक्षा सूत्र बांधे जाने के साथ नारे भी लगाए गए। थानों को बचाने के लिए यह प्रथम प्रयास है।
थानों वन भूमि के अंतर्गत 87 हेक्टेयर की रिजर्व वन भूमि आती है जिसे गैर वन भूमि में तब्दील किया जा रहा है। इसके अंतर्गत 10000 पेड़ों को काटा जाना निश्चित है इसलिए सरकार के इस निर्णय के विरोध में ‘सेव थानो फोरेस्ट’ यानी ‘थानो बचाओ आंदोलन’ की शुरुआत की गई है।
इस आंदोलन को जौलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तार के विरोध में यानी विकास विरोधी आंदोलन के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। आंदोलनकारियों का कहना है कि वह विकास के विरोध में नहीं है लेकिन चाहते हैं कि विकास के लिए जंगल की बलि नहीं दी जानी चाहिए। विकास की अन्य योजनाओँ जैसे कि चार धाम सड़क परियोजना के तहत हजारों पेड़ पहले ही काटे जा चुके हैं उस पर थानो जंगल का काटा जाना एक और चोट होगी। थानों में पेड़ों का न होना जानवरों के आवागमन में भी दिक्कत पैदा करेगा क्योंकि यह हाथियों का कोरिडोर भी है और जंगल न होना देहरादून के लिए भी भविष्य में दिक्कत ही पैदा करेगा इसलिए थानों का आंदोलन किया जा रहा है।
आयुष जोशी जोकि एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं साथ ही पर्यावरण इंजीनियर है उनका कहना है कि ग्लोबल वॉर्मिंग आज दुनिया की मुख्य समस्या बन गया है उस पर पेड़ काटना एक आपराधिक कार्य है इसे कोढ़ में खाज भी कहा जा सकता है ।
थानो जंगल का इलाका देहरादून के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि देहरादून की पर्यावरणीय सुरक्षा इस जंगल पर निर्भर करती है । कार्बन अवशोषण का मुख्य स्रोत यह जंगल अब समाप्त किए जाने की कगार पर है। अगर हम हमें भविष्य की पीढ़ी का हित देखना है तो सरकार को विकास के लिए कुछ अलग रास्ते ढूंढने होंगे।