विनीता यशस्वी
1 सितंबर 1994 का ही वो काला दिन था जब हजारों आंदोलनकारी उत्तराखण्ड राज्य की मांग को लेकर खटीमा की सड़कों पर उतरे। जब वह शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहे थे उस समय अचानक उनके ऊपर गोलियों की वर्षा शुरू कर दी जिसमें 7 आंदोलनकारियों ने अपनी शहादत दी थी. इस आंदोलन में महिलाएं अपने बच्चों तक को लेकर सड़कों पर उतर आयी थीं. खटीमा गोलीकांड की आग खटीमा से लेकर मसूरी और मुजफ्फनगर तक फैल गई थी.
इस खटीमा गोलीकांड में सात लोंगों की शहादत हुई और लगभग 165 से ज्यादा आंदोलनकारी गंभीर रूप से घायल भी हुए थे. महिलाओं पर भी पुलिस ने अत्याचार किये पर इन सब अत्याचारों के बावजूद भी महिलाएं इस आंदोलन में डटी रहीं।
आज उत्तराखंड राज्य को बने बीस साल हो गये हैं, लेकिन उतराखंड की जनता को अभी भी अपने सपनों उतराखंड राज्य का इंतजार है।
खटीमा गोलीकांड के अमर शहीद:
श्री भगवान सिंह सिरौला, ग्राम श्रीपुर बिछुवा, खटीमा
श्री प्रताप सिंह, खटीमा
श्री सलीम अहमद, खटीमा
श्री गोपीचन्द, ग्राम रतनपुर फुलैया, खटीमा
श्री धर्मानन्द भट्ट, ग्राम अमरकलाँ, खटीमा
श्री रमजीत सिंह, राजीवनगर, खटीमा
श्री रामपाल, बरेली