रमदा
शायद आपको याद हो कि 2019 के लोकसभा चुनावों में “प्रचण्ड-बहुमत” हासिल करने के बाद काशी में मतदाताओं का आभार ज्ञापित करते हुए माननीय मोदी जी ने “पदधारी के पक्ष में मत / प्रो-इनकम्बैन्सी वोट” की चर्चा में गणित (अरिथमेटिक) और रसायनशास्त्र (कैमिस्ट्री) को शामिल करते हुए एक रोचक वक्तव्य दिया था. आपको याद दिलाने के लिए, यू-ट्यूब से लिया गया, एक अंश प्रस्तुत है :
“ चुनाव परिणाम ..वो तो एक गणित होता है, जिसको 200 वोट मिले हैं और दूसरे को 201 मिले हैं तो विजेता तो 201 वाला होने वाला है..इसमें गलत नहीं है. परिणाम का आधार तो गणित समझ सकता हूँ मैं…20 वीं सदी के चुनावों के हिसाब-किताब भी गणित और अंकगणित के दायरे में चले होंगे. लेकिन चाहे वो 2014….17 हो या 19 देश के राजनैतिक विश्लेषकों को मानना होगा कि अरिथमेटिक के आगे भी कैमिस्ट्री होती है. गुणा-भाग के हिसाब-किताब से परे भी एक कैमिस्ट्री होती है. आदर्शों और संकल्पों की जो कैमिस्ट्री है ये कभी कभी सारे गुणा-भाग सारे अंकगणित को निरस्त कर देती है, पराजित कर देती है और इस बार अंकगणित को केमिस्ट्री ने पराजित किया है ”
श्री मोदी का यह भाषण सुनते हुए मुझे अपनी बी.एस-सी. पार्ट वन की पढ़ाई के दुर्दांत दिन याद आते रहे. यह बात दीगर है कि मैं पार्ट वन से आगे नहीं ही जा पाया मगर “लिटमस पेपर’’- नीला और लाल लिटमस पेपर- मुझे आज भी याद है. किसी मिश्रण के अम्लीय या क्षारीय होने सम्बन्धी एक सरल से परीक्षण/ टैस्ट में इनका उपयोग होता था.
माननीय प्रधानमंत्री भी इधर केमिस्ट्री के मुरीद बने हैं, लेकिन यह प्रेम तात्कालिक नहीं है. वह आगे भी आदर्शों और संकल्पों की कैमिस्ट्री का उपयोग करने वाले हैं और…..उनका यह कैमिस्ट्री प्रेम नए बने मंत्रिमंडल में भी झलकता है. मंत्रिमंडल में शामिल नए चेहरों में से कुछ के रूप में उन्होंने अपनी दूसरी पारी के त्वरित आकलन के लिए जनता और विश्लेषकों को “लिटमस पेपर”—लाल और नीला—उपलब्ध भी कराया है. दूसरी पारी में देश किधर जायेगा जल्दी से यह पता करने के लिए शुरूआत में केवल दो मंत्रालयों के क्रिया-कलापों पर एक नज़र काफी रहेगी एक, गृह और दूसरा मानव-संसाधन विकास.
क्या कहते हैं ?