व्योमेश जुगरान सत्तर के दशक में जब पौड़ी को एक मुकम्मल शहर हुए सालों बीत चुके थे, तब भी इसकी सरहद से लगे पौड़ीगांव, च्वींचा, कांडई और बैंग्वाड़ी गांव के लोगों से उलझना समझदारी नहीं मानी जाती... Read more
व्योमेश जुगरान सत्तर के दशक में जब पौड़ी को एक मुकम्मल शहर हुए सालों बीत चुके थे, तब भी इसकी सरहद से लगे पौड़ीगांव, च्वींचा, कांडई और बैंग्वाड़ी गांव के लोगों से उलझना समझदारी नहीं मानी जाती... Read more
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