राजीव लोचन साह
सी.ए.ए. और एन.आर.सी. को लेकर विवाद और प्रदर्शनों का सिलसिला जारी है। इसके विरोध में हो रहे प्रदर्शनों में मुसलमानों की जबर्दस्त भागीदारी ने साबित किया है कि पिछले कुछ सालों से उन्हें नीचा दिखाने और दूसरे दर्जे का नागरिक बनाने की जिस लगातार कोशिश को वे अनदेखा कर रहे थे, उसे वे अब बर्दाश्त नहीं करेंगे। मगर इसकी प्रतिक्रिया ठीक उसी रूप में आयी, जैसी भारतीय जनता पार्टी चाहती थी। धर्मनिरपेक्षता को लेकर अस्पष्ट और वैचारिक स्तर पर कमजोर वे हिन्दू, जो हिन्दुत्व के झंडाबरदारों के इस अनथक दुष्प्रचार, कि मुसलमानों का अन्तिम लक्ष्य अपनी आबादी बढ़ा कर हिन्दुओं को अल्पसंख्यक बना देना है, उनकी निष्ठा पाकिस्तान के साथ होती है और वे आतंकवादी होते हैं, के बीच अनिर्णय में फँसे रहते थे, बगैर असलियत समझे इन कानूनों के समर्थन में खड़े हो गये हैं। गुजरात दंगों को गोधरा के बहाने जायज ठहराने में जो आंशिक सफलता भाजपा ने प्राप्त की थी, उसे इस प्रकरण ने और पुख्ता किया है। यह भारतीय जनता पार्टी की जबर्दस्त कामयाबी है। जो जनता प्याज की कीमत चालीस रुपये हो जाने पर विद्रोह कर देती थी, वह उसके सवा़ सौ रुपये पार होने पर भी संतुष्ट है। घर पर बेरोजगार बैठे बच्चों की उसे कोई चिन्ता नहीं रही। खेती की बर्बादी, किसानो की आत्महत्या, बढ़ती हुई मन्दी, महंगाई और बेरोजगारी कोई समस्या नहीं रही। यह जानते हुए भी कि इन्हें लागू करना पूरी तरह अव्यावहारिक है, भाजपा ने सफलतापूर्वक सारा ध्यान सी.ए.ए. और एन.आर.सी. के आसपास केन्द्रित कर दिया है। आगे वाले सालों में यह प्रवृत्ति हावी रहेगी। स्थानीय मुद्दों पर झारखंड की तरह कुछ और राज्य उसके हाथ से भले ही निकल जायें, मगर 2024 के अगले लोकसभा चुनाव के लिये उसने देश को विभाजित कर दिया है। इस साम्प्रदायिक हमले को विफल करना इस वक्त की सबसे बड़ी जरूरत है।
राजीव लोचन साह 15 अगस्त 1977 को हरीश पन्त और पवन राकेश के साथ ‘नैनीताल समाचार’ का प्रकाशन शुरू करने के बाद 42 साल से अनवरत् उसका सम्पादन कर रहे हैं। इतने ही लम्बे समय से उत्तराखंड के जनान्दोलनों में भी सक्रिय हैं।