चारु तिवारी
वरिष्ठ पत्रकार, लेखक, चिंतक और उत्तराखण्ड क्रान्ति दल के संस्थापक सदस्य हमारे अग्रज नित्यानंद भट्ट जी के निधन का समाचार सुनकर मन बहुत व्यथित है। हम उन्हें छात्र जीवन से देखते, सुनते और पढते रहे। बाद में उनके सान्निध्य में रहने का अवसर मिला। उनके साथ आत्मीयता भी रही। वे हम जैसे युवाओं से स्नेह भी रखते थे और मार्गदर्शन भी देते थे। कई बार प्रोत्साहित भी करते थे।
मैं उनसे पहली बार 1987-88 में मिला था, बिपिन त्रिपाठी जी के साथ। उसके बाद अभी हाल के कुछ वर्षों को छोड़ दिया जाये तो लगातार मुलाकात होती रही। भट्टजी पृथक उत्तराखण्ड राज्य की परिकल्पना को लोगों तक पहुंचाने के लिए 1979 में गठित ‘उत्तराखण्ड क्रान्ति दल’ के उन प्रमुख संस्थापकों में रहे, जिन्होंने 24-25 जुलाई, 1979 को मसूरी के अनुपम होटल में ‘पर्वतीय जन विकास सम्मेलन’ के माध्यम से राज्य आंदोलन के लिए राजनीतिक मंच तैयार किया। उन्होंने दल के लिए शुरूआती समय से लेकर बहुत लंबे समय तक विचार और संघर्ष दोनों स्तर पर काम किया। पार्टी के महत्वपूर्ण पदों पर रहे।
नित्यानंद भट्ट जी एक पत्रकार, लेखक और वक्ता के रूप में भी काफी सम्मानित थे। वे लंबे समय तक ‘उत्तरायण’ अखबार के माध्यम से जनसरोकरी पत्रकारिता करते रहे। उन्होंने अपने अखबार से उस समय के ज्वलंत मुद्दों को बहुत प्रभावी और निडरता से रखा। बाद में ‘हिमालयी’ भारत’ नाम से बहुत अच्छा अखबार निकाला। उत्तराखण्ड के लिए वे अंतिम समय तक चिंतित रहे। उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि।